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    Jharkhand Politics: 'आदिवासी बेवकूफ नहीं, जिसे डमरू बजाकर...', प्रधानमंत्री मोदी के दौरे झामुमो ने कसा तंज

    By Pradeep singhEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Thu, 16 Nov 2023 09:52 PM (IST)

    झामुमो ने प्रधानमंत्री के दो दिवसीय दौरे के बाद गुरुवार को आरोपों की बौछार कर दी। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य उन्होंने दावा किया कि पीएम राज्य को डिस्टर्ब करने के लिए आए थे। आदिवासी-मूलवासी बेवकूफ नहीं रहे जो कोई डमरू बजाकर बहला लेगा। पहले सीबीआई आईटी और ईडी को लगाया और अब डिस्टर्ब करने के लिए पीएम खुद आते हैं।

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    प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद झामुमो ने जमकर बोला हमला। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने प्रधानमंत्री के दो दिवसीय दौरे के बाद गुरुवार को आरोपों की बौछार कर दी। मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल को राजनीति नहीं करने की सलाह देते हुए कहा कि मेजबानी के दौरान उन्होंने सरना धर्म कोड समेत राज्य हित के मुद्दों से पीएम को अवगत कराना चाहिए था।

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    राज्य को डिस्टर्ब करने आए थे पीएम: JMM

    उन्होंने दावा किया कि पीएम राज्य को डिस्टर्ब करने के लिए आए थे। आदिवासी-मूलवासी बेवकूफ नहीं रहे, जो कोई डमरू बजाकर बहला लेगा। पहले सीबीआई, आईटी और ईडी को लगाया और अब डिस्टर्ब करने के लिए पीएम खुद आते हैं।

    राज्य स्थापना दिवस में राष्ट्रपति के नहीं आने पर उठाया सवाल

    पिछली वर्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आने की सहमति मिलने के बाद उन्हें राज्य स्थापना दिवस समारोह में आने से रोका गया। इस साल राज्य सरकार के योजनाओं की घोषणा और लांचिंग से जनता का ध्यान भटकाने और और राजनीतिक प्रचार के लिए प्रधानमंत्री आए।

    पूरा सरकारी महकमा आधे दिन तक उनके कार्यक्रम में व्यस्त रहा। अप्रत्यक्ष तौर पर उन्होंने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के लिए भगवान बिरसा मुंडा की धरती खूंटी व उलिहातू को चुना सरकारी खर्च पर चुना।

    मणिपुर, मिजोरम, मेघालय क्यों नहीं जाते?

    सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री को आदिवासी से कोई प्रेम नहीं है। उन्हें आदिवासी सभ्यता, संस्कृति और पर्व-त्योहार के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

    मणिपुर, मिजोरम, मेघालय जाने की उनमें हिम्मत नहीं है। वे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्राें में नहीं जा सकते।

    सरना धर्मकोड को लेकर उठाया सवाल 

    चुनावी प्रचार के लिए उन्होंने बिरसा मुंडा की धरती को चुना। यहां के लोगों के लिए कोई घोषणा नहीं की। हेमंत सरकार ने विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड पारित कराकर भेजा, लेकिन पीएम ने इसकी चर्चा तक नहीं की।

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