Jharkhand Politics: गठबंधन सरकार को ले चल रही अटकलों के बीच आया विधानसभा अध्यक्ष का बयान, कहा-राजनीति में चर्चा चलती रहती है, फलीभूत होने पर ही बात करें
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने गठबंधन सरकार पर चल रही अटकलों को लेकर बयान दिया कि राजनीति में चर्चाएं चलती रहती ह ...और पढ़ें

स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने कहा कि राजनीति में चर्चा तो चलती रहती हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand News झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने साफ कहा कि राजनीति में तरह-तरह की चर्चाएं और अटकलें चलती रहती हैं। लेकिन जब तक वे फलीभूत न हों, उन पर बात करना व्यर्थ है।
विधानसभा अध्यक्ष ने गुरुवार को अपने कक्ष में मीडिया से कहा कि राजनीति में चर्चा तो चलती रहती हैं। सरकार गठन के पहले दिन से ही इस तरह की बातें हो रही हैं। मैं इन बातों को नहीं मानता। जब कोई बात सफलीभूत नहीं हो, तब उस पर चर्चा नहीं करनी चाहिए। स्पीकर का यह बयान मौजूदा गठबंधन सरकार को लेकर चल रही तरह-तरह की अफवाहों और अटकलों के बीच आया है।
सर्वदलीय बैठक में सुचारु संचालन पर बनी सहमति
स्पीकर ने गुरुवार को ही विधानसभा में सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, संसदीय कार्यमंत्री राधाकृष्ण किशोर, कांग्रेस विधायक दल नेता प्रदीप यादव, भाकपा माले के अरूप चटर्जी, आजसू के निर्मल महतो, राजद विधायक दल के नेता सुरेश पासवान, लोजपा के जनार्दन पासवान मौजूद रहे। बैठक में शीतकालीन सत्र के औपचारिक कार्यक्रम पर पूर्ण सहमति बनी।
स्पीकर ने बताया कि सत्र शुक्रवार पांच दिसंबर से शुरू होगा। पहले दिन शोक प्रकाश जैसी औपचारिकताएं पूरी होंगी। सोमवार से वास्तविक कार्यवाही शुरू होगी। इस सत्र में अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा और गैर सरकारी संकल्पों पर संबंधित मंत्री अपना पक्ष रखेंगे।
विभागीय बहस में कानून-व्यवस्था पर कर सकते है चर्चा
सर्वदलीय बैठक में कुछ दलों ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर अलग से चर्चा कराने की मांग की। स्पीकर ने कहा कि इस पर सदन की अनुमति से निर्णय होगा। फिलहाल संबंधित विभागों की चर्चा के दौरान ये मुद्दे उठाए जा सकते हैं। विधानसभा में सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में सरकारी विभागों की सुस्ती पर स्पीकर ने कड़ा रुख अपनाया।
उन्होंने कहा कि कुछ विभाग इस मामले में सुस्त हैं। सभी प्रश्नों का जवाब समय पर आना चाहिए। स्पीकर ने कहा कि बुधवार को ही अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर हुई थी और सख्त हिदायत दी गई है।
स्पीकर ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार के जवाब नियम-कानून के दायरे में ही आते हैं, किसी की पसंद-नापसंद के हिसाब से नहीं।

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