Jharkhand Politics: झामुमो से तल्खी टालने की कोशिश, कांग्रेस ने संथाल परगना में रोकी पदयात्रा
कांग्रेस ने संथाल परगना में होने वाली पदयात्रा को झामुमो के साथ बेहतर तालमेल रखने के लिए स्थगित कर दिया। प्रदेश प्रभारी के. राजू के निर्देश पर कार्यक्रम शुरू हुआ था जिसका उद्देश्य कांग्रेस की उपस्थिति को मजबूत करना था लेकिन झामुमो की नाराजगी के बाद पार्टी आलाकमान ने तत्काल प्रभाव से इसे रद्द कर दिया।

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड की राजनीति में गठबंधन की मजबूती और आपसी समन्वय हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। हाल ही में संथाल परगना में कांग्रेस द्वारा शुरू की गई पदयात्रा और रैलियों को अचानक स्थगित करने का फैसला इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस निर्णय के पीछे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखने की रणनीति काम कर रही है। कांग्रेस के इस कदम को गठबंधन धर्म का पालन करने और संथाल परगना में झामुमो की नाराजगी को शांत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
संथाल परगना में कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी के. राजू के निर्देश पर बड़े तामझाम के साथ पदयात्रा और रैलियों की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र में कांग्रेस की उपस्थिति को मजबूत करना और कार्यकर्ताओं में जोश भरना था।
जामताड़ा में राज्य सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी द्वारा आयोजित एक भव्य रैली में कांग्रेस के तमाम प्रमुख नेता शामिल हुए, जिससे यह संदेश गया कि पार्टी क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाने के लिए गंभीर है। हालांकि, कांग्रेस की संथाल परगना में बेमौसम तेज हुई गतिविधि से झामुमो में भितरखाने नाराजगी पैदा कर दी। संथाल परगना में झामुमो का प्रभाव मजबूत है और कांग्रेस की इस आक्रामक रणनीति को गठबंधन के लिए असहज माना गया।
कांग्रेस नेतृत्व ने भांप ली नाराजगी
कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने झामुमो की इस नाराजगी को तुरंत भांप लिया और इसकी जानकारी पार्टी आलाकमान को दी। दिल्ली में बैठे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने स्थिति का आकलन किया और गठबंधन की एकजुटता को प्राथमिकता देते हुए पदयात्रा और रैलियों को तत्काल स्थगित करने का आदेश जारी किया।
इस फैसले को गठबंधन के भीतर बेहतर समन्वय और आपसी विश्वास को बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी तर्क दिया कि अभी इतने बड़े पैमाने पर ऊर्जा और संसाधन खर्च करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि गठबंधन की प्राथमिकता आगामी चुनावों में एकजुट होकर विपक्ष को चुनौती देना है।
कांग्रेस का यह कदम झारखंड की राजनीति में गठबंधन धर्म का एक उदाहरण है। संथाल परगना में झामुमो का मजबूत जनाधार है, और कांग्रेस ने इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को सीमित कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह गठबंधन के हितों को सर्वोपरि मानती है।
इस निर्णय से न केवल झामुमो के साथ तल्खी को टाला गया, बल्कि गठबंधन के भीतर विश्वास को और मजबूत करने में मदद मिली है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पार्टी अब उन क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ाने पर ध्यान दे सकती है, जहां उसका जनाधार पहले से मजबूत है ताकि झामुमो के साथ टकराव की स्थिति से बचा जा सके।
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