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    झारखंड के प्रमुख मुद्दों को लेकर समन्वय समिति में हुई चर्चा, भाजपा के लिए इनसे पार पाना होगा बड़ी चुनौती

    By Pradeep singhEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 12:36 AM (IST)

    झारखंड की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर नए सिरे से खींचतान की तैयारी शुरू हो गई है। शनिवार को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा क ...और पढ़ें

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    राज्य समन्वय समिति की बैठक में हुआ निर्णय इस तरफ दे रहा संकेत।

    राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर नए सिरे से खींचतान की तैयारी शुरू हो गई है। शनिवार को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन की अध्यक्षता में संपन्न राज्य समन्वय समिति की बैठक में हुआ निर्णय इसी ओर संकेत कर रहा है।

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    उन तमाम मुद्दों पर राज्य सरकार नए तरीके से हमलावर होगी, जो बीते दिनों में तकनीकी पेंच में फंसकर उलझ चुके हैं। इसका उद्देश्य राजनीतिक विरोधियों को कठघरे में खड़ा करना भी होगा। इस दिशा में बातें आगे बढ़ाकर सरकार आम जनमानस में यह जाहिर करने की कोशिश करेगी कि उनकी तरफ से इसे लेकर सकारात्मकता है।

    राजभवन भी होगा निशाने पर

    विपक्ष इसे राजनीतिक विरोध के कारण उलझा कर रखना चाहता है। इस कड़ी में राजभवन भी निशाने पर होगा। उल्लेखनीय है कि राजभवन ने उन विधेयकों को लौटा दिया है, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से दूरगामी लाभ पहुंचाने वाले हैं। स्थानीयता का निर्धारण और आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने संबंधित विधेयक उन्हीं में से एक है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इसे पारित कराया था।

    स्थानीयता पर क्या जवाब देगी भाजपा

    इसे संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत केंद्र को भेजने का आग्रह किया गया था, लेकिन राजभवन ने इसे वापस कर दिया। स्थानीयता के निर्धारण के लिए 1932 के भूमि सर्वे खतियान को आधार बनाना सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख एजेंडे में शामिल रहा है। इसके अलावा आरक्षण प्रतिशत में बढ़ोतरी संबंधित निर्णय भी एक बड़े वर्ग को प्रभावित करेगा, जिसका सीधा लाभ आगामी चुनावों में होगा।

    आरक्षण होगा बड़ा मुद्दा

    राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने समेत अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने और अनुसूचित जाति का आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया था।

    राजभवन द्वारा लौटाए जाने के बाद यह अधर में लटका है। राज्य समन्वय समिति ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि इसे संशोधित कर राजभवन को प्रेषित किया जाए। राजनीतिक दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण होगा। अगर इसमें बाधा आई तो सत्तारूढ़ गठबंधन इसकी आड़ में भाजपा पर निशाना साधेगा।

    सरना धर्म कोड पर एकजुटता

    राज्य सरकार ने आदिवासियों के लिए जनगणना के कॉलम में सरना धर्म कोड को शामिल करने संबंधी प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्रेषित किया था। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया गया था। यह मुद्दा भावनात्मक है और केंद्र सरकार के पाले में है। इसे लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी है। कोशिश की जाएगी कि सभी दलों की इसमें संलिप्तता हो।

    भाजपा पर मुद्दों से भटकाने का लगाया आरोप

    भाजपा ने राज्य समन्वय समिति पर मूल मुद्दों से भटकाने का आरोप लगाया है। समन्वय समिति इसे लेकर भाजपा और कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि नीतिगत मसलों पर तकनीकी पेंच में फंसाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जोर पकड़ सकता है।