Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand Politics: कांग्रेस के बयानबाजी से गठबंधन में बेचैनी, घाटशिला उपचुनाव से पहले सरकार असहज

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 05:41 AM (IST)

    झारखंड में कांग्रेस नेताओं के बयानों से गठबंधन सरकार में बेचैनी बढ़ रही है। घाटशिला उपचुनाव से पहले यह स्थिति सरकार के लिए असहजता का कारण बन सकती है। गठबंधन सहयोगियों के बीच समन्वय की कमी दिख रही है, जिससे सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

    Hero Image

    गठबंधन को असहज कर रहा कांग्रेस नेताओं का बयान।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में कुछ कांग्रेस नेताओं के बयान से गठबंधन के लिए असहज स्थिति बनती जा रही है। पार्टी के सीनियर नेताओं के कारण ही ऐसा हुआ है। तमाम बयान ऐसे वक्त में आ रहा है जब घाटशिला में उपचुनाव होने की तिथि नजदीक आ रही है। ऐसे बयानों से ना सिर्फ गठबंधन बल्कि सरकार भी असहज हो रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस विवाद की शुरुआत वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के बयान से हुई है। उन्होंने झारखंड में अनुसूचित जाति आयोग के गठन में देरी होने से संभावित नुकसान को लेकर सवाल उठाया है और मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। पत्र लिखे जाने के बाद इसे मीडिया में जारी कर उन्होंने कहीं ना कहीं सरकार को असहज कर दिया है।

    कांग्रेस के ही कुछ सीनियर नेता लगातार कह रहे हैं कि कैबिनेट मंत्री रहते हुए ऐसी बातें वे सामान्य बैठकों में भी कर सकते थे। मीडिया में लाने की जरूरत नहीं है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने किसी का नाम लिए बगैर इस तरह के बयानों से बचने की सलाह दी है।

    दूसरा मामला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचु का है। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि झामुमो कांग्रेस के अलावा विकल्प खोज रहा है और इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जरूरत पड़ने पर पार्टी में टूट हाे जाए।

    इसके लिए उन्होंने कुछ तर्क भी दिए हैं। दरअसल, बलमुचु घाटशिला से चुनाव लड़ना चाहते थे जबकि कांग्रेस ने यह सीट झामुमो के लिए छोड़ दी है। पार्टी के सीनियर नेताओं को लगता है कि गठबंधन बचाने के लिए ऐसा करना अनिवार्य था।

    इधर, नया प्रकरण डीजीपी को लेकर उठा है। मीडिया के कुछ हिस्सों में यह खबर चल रही है कि डीजीपी ने इस्तीफा दे दिया है। इससे उत्साहित होकर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता केएन त्रिपाठी ने इस्तीफा के पहले अनुराग गुप्ता की गिरफ्तारी की मांग सार्वजनिक रूप से करनी शुरू कर दी है।

    ऐसे में सवाल उठता है कि जो निर्णय मुख्यमंत्री का करना है उसके लिए कांग्रेस के नेता मीडिया में आकर गठबंधन काे कमजोर करने का काम कर रह हैं। तमाम बयानों पर प्रदेश कांग्रेस की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।