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    Jharkhand: भाजपा के चार्जशीट पर झामुमो का पलटवार, एक आदिवासी का मुख्यमंत्री बने रहना पचा नहीं पा रहा विपक्ष

    By Jagran NewsEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Thu, 29 Dec 2022 08:54 PM (IST)

    हेमंत सरकार के खिलाफ चार्जशीट पर पलटवार करते हुए झामुमो प्रवक्ता ने विनोद पांडेय ने जम कर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पहले हम कहते थे कि ये झारखंड विरोधी हैं अब ये खुद मुह से उगल रहे हैं कि इन्हें खुद को झारखंडी बताने में शर्म आती है।

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    हेमंत सरकार के खिलाफ चार्जशीट पर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का करारा प्रहार।

    राज्य ब्यूरो, रांची: हेमंत सरकार के खिलाफ चार्जशीट पर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने करारा प्रहार किया है। मोर्चा के प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि सच्चाई अब भाजपा नेताओं के मुंह से निकल रही है। इन्हें अब खुद को झारखंडी बताने में शर्म आ रही है। यह हकीकत है कि भाजपा आरंभ से झारखंड विरोधी है।

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    उन्होंने कहा कि पहले इनके नेताओं ने वनांचल का नारा देकर झारखंड अलग राज्य के आंदोलन को अधर में लटकाने की कोशिश की। झारखंड मुक्ति मोर्चा के लंबे संघर्ष के बाद राज्य अलग हुआ। अब इनके नेता बेशर्मी पर उतारू हैं। 20 साल में भाजपा के शासनकाल में झारखंड देशभर में सबसे पिछले पायदान पर चला गया था। तीन वर्ष में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में हुए काम की गूंज देश-विदेश में है।

    कोरोना में भाजपा के नेता मुंह छिपाते फिर रहे थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने न सिर्फ कोरोना का मुकाबला किया, बल्कि जीवन की सुरक्षा के साथ-साथ आजीविका को भी सुनिश्चित किया। बाहर में फंसे मजदूरों को ट्रेन और प्लेन से लाया गया। पूरे देश को झारखंड ने आक्सीजन की आपूर्ति की। भाजपा पश्चाताप करने की बजाय चार्जशीट तैयार कर रही है।

    भाजपा के नेताओं को जवाब देना पड़ेगा। तीन साल में ये अपने लिए एक नेता नहीं खोज पाए। इन्हें कोई मुद्दा नहीं मिलता है तो नफरत फैलाने पर उतारू हो जाते हैं। इन्हें याद नहीं है कि इनके शासनकाल में संतोषी नामक बच्ची भात-भात बोलते हुए मर गई। सरेआम माब लिंचिंग की घटनाएं हुई। निर्दोष युवाओं को नक्सली बताकर मौत के घाट उतार दिया गया। आदिवासी युवाओं को नक्सली बताकर पेश कर दिया गया।

    चुनाव में इन्हें जनता ने नकार दिया तो ये भ्रामक आरोप लगाकर माहौल बना रहे हैं। सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को लगाया गया है। एक आदिवासी का मुख्यमंत्री के पद पर बने रहना इन्हें पच नहीं रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद हुए सारे उपचुनावों में भी जनता ने इन्हें नकार दिया। इनका चाल, चरित्र और चिंतन जनता समझ चुकी है। भाजपा के झांसे में लोग नहीं आने वाले हैं।

    हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से भाजपा के सारे नेता बौखला गए हैं। भाजपा को हेमंत सरकार के कार्यकाल पर सवाल उठाने से पहले अपने 20 वर्षों के शासनकाल का आकलन करना चाहिए। भाजपा को आज पिछड़ों की पीड़ा सता रही है। भाजपा के शासनकाल में ही पिछड़ों के आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत की गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछड़ों को फिर से 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है।