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    झारखंड: JMM का सियासी गणित उलझाएंगे ये मुद्दे, BJP इसे बनाएगी 'हथियार', जयराम की नई पार्टी यहां फंसाएगी पेंच

    बिहार की राजधानी पटना में हुई विपक्षी एकता की बैठक ने 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। झारखंड में लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा जहां अभी से आक्रमक मोड में नजर आ रही है वहीं हेमंत सोरेन की झामुमो भी आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है। झारखंड में कई ऐसे मुद्दे हैं जो इन राजनीतिक दलों को परेशान कर सकते हैं।

    By Mohit TripathiEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 26 Jun 2023 08:21 PM (IST)
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    झारखंड: सियासी गणित उलझाएंगे राज्य के ये मुद्दे। जागरण

    जागरण ऑनलाइन डेस्क, रांची: साल 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर झारखंड में सियासी हलचल जोरों पर है। राज्‍य में भाजपा इन दिनों महासंपर्क अभियान को लेकर झारखंडवासियों के घर-घर जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ साल की उपलब्धियां गिना रही है। बीते दिनों भाजपा के कई स्टार प्रचारक राज्‍य का दौरा कर चुके हैं। हाल ही में खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा झारखंड में जनसभा को संबोधित कर चुके हैं।

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    23 जून को बिहार सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक हुई। इस बैठक में विपक्षी दलों ने अपनी पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए नई रणनीति पर चर्चा की।

    इस बैठक के बाद सभी दलों ने एक सामूहिक बयान जारी कर विपक्षी एकजुटता का संदेश दिया। विपक्षी नेताओं की पटना में हुई बैठक सफल रही। अब नजर शिमला वाली बैठक पर है कि वहां होने वाली महाबैठक में विपक्षी नेताओं की आपसी सहमति क्‍या रहती है।

    पटना की बैठक में झामुमो भी शामिल हुआ और एकजुट होकर मोदी के विजय रथ को रोकने की बात कही। हालांकि, सीटों के बंटवारे का पेंच झारखंड में फंसता दिखाई दे सकता है।

    बहरहाल, झामुमो अभी से लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में जुट गया है। झारखंड का चुनाव किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं होने वाला है।

    झारखंड में छात्र राजनीति से उभरे जयराम महतो ने एक नई पार्टी के गठन का एलान करके चुनावी समीकरण को थोड़ा और पेचीदा कर दिया है। जयराम महतो आगामी चुनावों में झामुमो का चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं।

    झारखंड में इन मुद्दों पर होगा चुनाव

    झारखंड में ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर जनता सभी राजनीतिक दलों के स्पष्ट रुख को जानना चाहती है। इन सभी मुद्दों में सबसे प्रमुख मुद्दा 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति है। ये दोनों ही मुद्दे झारखंड वासियों के लिए बेहद अहम हैं।

    झारखंड का महतो समाज जोर-शोर से आदिवासी दर्जे की मांग कर रहा है। राज्य में ओबीसी समाज के आरक्षण के प्रतिशत को बढ़ाना भी एक प्रमुख मुद्दा है। इन मुद्दों को लेकर अब तक सड़क से लेकर सदन तक खूब बवाल भी हो चुका है।

    घोटाले बनेंगे हेमंत सोरेन की राह की बाधा

    झारखंड के युवा रोजगार को लेकर कई बार सड़कों पर उतर चुके हैं, जिन पर पुलिस ने लाठियां भी बरसाई हैं। रोजगार और राज्य सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दों में से एक रहने वाले हैं।

    रांची जमीन घोटाला, खनन घोटाला, मिड-डे मील घोटाला और मनरेगा घोटाला; ये ऐसे घोटाले हैं, जो जनता के मन में सरकार के प्रति संदेह पैदा करते हैं। भाजपा के कई नेता हेमंत सरकार को भ्रष्टचार पर घेर चुके हैं। वसुंधरा राजे ने तो हेमंत सरकार को भ्रष्टाचार के लिए फेमस बता दिया था।

    धर्मातंरण को मुद्दा बनाएगी भाजपा

    धर्म परिवर्तन का मुद्दा झारखंड में काफी संवेदनशील है। झारखंड का आदिवासी समाज ईसाई मिशनरियों द्वारा लालच देकर कराए जा रहे धर्म परिवर्तन से काफी खफा है।

    धर्म परिवर्तन से अपने समाज को बचाने के लिए कई जिलों में तो आदिवासी संगठनों ने धर्म परिवर्तित करने वालों और समाज विशेष के खिलाफ कई फरमान तक जारी किए हैं।

    हेमंत सरकार द्वारा धर्मपरिवर्तन के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से आदिवासी समाज काफी खफा है। इस मुद्दे को लेकर हेमंत सरकार पर भाजपा लगातार हमलावर रही है।

    घुसपैठ को लेकर हमलावर रहेगी BJP

    झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर भाजपा खासकर निशिकांत दुबे काफी हमलावर रहे हैं। संथाल परगना क्षेत्र में यह भी एक संवेदनशील मुद्दा है।

    भाजपा आए दिन आरोप लगाती रहती है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संथाल परगना क्षेत्र की जनसांख्यिकी में असतुंलन पैदा हो गया है। 2024 के चुनावों में यह भी एक अहम मुद्दा होने वाला है।