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    जान‍िए, झारखंड में क‍िस तरह लुट रहे क‍िसान, राज्‍य सरकार से ज्‍यादा चालाक कैसे हैं ब‍िचौल‍िए

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Sun, 30 Jan 2022 10:20 AM (IST)

    Jharkhand Paddy Purchase झारखंड में धान खरीद की सच्‍चाई यह है क‍ि बिचौलियों का बोलबाला है। सरकार भले ही क‍िसानों तक नहीं पहुंच पा रही है लेक‍िन दलाल समय पर क‍िसानों के पास पहुंच कर धान खरीद रहे हैं।

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    Jharkhand Paddy Purchase : डेढ़ माह बीत गए लक्ष्य का महज 19.14 प्रतिशत खरीद सकी सरकार।

    रांची, राज्य ब्यूरो। किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने और उन्हें उनकी फसल का वाजिब मूल्य दिलाने की सरकारी कोशिशें किस हद तक कामयाब रही हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। दावे और हकीकत के बीच एक बड़ी खाई है। सच यह है कि 80 प्रतिशत वाजिब किसानों तक सरकार की पहुंच ही नहीं है। सरकार से पहले किसानों के पास व्यापारी या बिचौलिए पहुंच जाते हैं। इनका का रियल टाइम नेटवर्क सरकारी प्रयासों पर भारी पड़ता है। यह हम नहीं किसानों से बातचीत और उनके बीच कराए गए एक छोटे से सर्वे से बयां हो रहा है। सर्वे का साइज अवश्य छोटा हो सकता है लेकिन यह बड़ी हकीकत को बयां कर रहा है। हमारी कोशिश धान क्रय से जुड़ी विसंगतियों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना और किसानों और सरकार के बीच की कड़ी को जोड़ना भर है। जब सरकार किसानों को 2050-2070 रुपये (बोनस समेत) प्रति क्विंटल का एमएसपी दे रही है तो फिर वे क्यों बिचौलियों और व्यापारियों को 1200-1400 रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं। हमारी पड़ताल इसी हकीकत को भी सामने लाती है। इस सवाल के साथ कि मार्च-अप्रैल तक कौन किसान अपना धान घर पर रखता है और तारीख बढ़ने के बाद एमएसपी पर सरकार को बेचता है।

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    तारीख बढ़ने का इंतजार करते हैं बिचौलिए

    धान खरीद से जुड़ा सिंडीकेट तारीख बढ़ने का इंतजार करता है। मार्च तक सरकार का लक्ष्य पूरा नहीं होता तो तमाम सख्ती ढीली पड़ जाती है। बस यही मौका बिचौलियों को मोटा मुनाफा कमाने में मदद करता है। सरकार इस बात पर इतराती है कि उसने लक्ष्य हासिल कर लिया। बिचौलिए इस बात पर उनका निशाना फिर ठीक बैठा। प्रति क्विंटल 600-700 का नफा वह भी सिर्फ दो माह के प्रयास से, सिर्फ इसी बाजार में मिलता है। इसमें पैक्स व लैंम्पस की मिलीभगत भी उजागर हो चुकी है।

    डेढ़ माह में महज 13 प्रतिशत रजिस्टर्ड किसानों ने ही सरकार को बेचा धान

    धान खरीद की हकीकत सरकारी आंकड़ों से भी बयां होती है। धान अधिप्राप्ति को तकरीबन डेढ़ माह बीतने को हैं और अब तक महज 13 प्रतिशत रजिस्टर्ड किसानों ही सरकारी तंत्र के माध्यम से अपना धान बेच सके हैं। कुल रजिस्टर्ड 2,34,724 किसानों में से महज 30,831 किसानों ने ही अपना धान एमएसपी पर बेचा है। लक्ष्य 80 लाख क्विंटल के सापेक्ष 29 जनवरी तक 15.31 लाख क्विंटल धान का क्रय किया गया है। यह तय लक्ष्य का महज 19.14 प्रतिशत है। यही गति रही तो इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 50 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना भी मुश्किल होगा। फिर तारीख बढ़ेगी, नियम लचीले होंगे और धान का सिंडीकेट अपना काम करेगा।

    1. सरकार को एमएसपी पर धान बेचा :: 20 प्रतिशत
    2. व्यापारियों को बेचा :: 65 प्रतिशत
    3. इंतजार या अनिर्णय की स्थिति में : 15 प्रतिशत

    क्यों नहीं एमएसपी पर धान बेच पाते किसान

    • किसान अपना धान पैक्स व लैम्पस लेकर जाते हैं। गोदाम भरे रहते हैं लिहाजा खरीद नहीं होती। वापस बाजार में बेचकर ही लौटते हैं।
    • सरकार के स्तर से की जाने वाली धान की खरीद में आधा पैसा ही तत्काल मिलता है। शेष राशि के लिए इंतजार करना पड़ता है। छोटे किसान इसीलिए दूरी बनाते हैं।
    • व्यापारी सरकारी तंत्र के अपेक्षाकृत किसानों के लगातार संपर्क में रहते हैं, किसानों को कैश भुगतान करते हैं। छोटे किसानों को इन्हें बेचना अधिक सहज लगता है।

    पूर्व में उजागर हो चुकी हैं विसंगतियां

    सरकार के स्तर पूर्व में की गई फौरी पड़ताल में भी धान खरीद से जुड़ी विसंगतियां सामने आ चुकी है। पिछले वर्ष ही हजारों लोगों ने किसानों के नाम पर एमएसपी पर सरकारी एजेंसी को 400-1000 क्विंटल का धान बेचा। इनमें 65 हजार ऐसे लोग थे जिनके पास लाल राशन कार्ड था। मतलब गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वालों ने अनाज बेचा। यह बात सरकार के गले से भी नीचे नहीं उतरी। यही वजह रही कि इस बार एक किसान से अधिकतम 200 क्विंटल की सीमा तय की गई है। यह सीमा निर्धारण का ही परिणाम है कि धान क्रय की गति सुस्त है।

    क्या कहते हैं किसान

    • हजारीबाग के खम्भवा गांव के किसान रामचरित्र सिंह कहते हैं कि उन्होंने अपना धान व्यापारी को बेच दिया। वे ये धान का बीज, खाद व दवा, व्यापारी से उधार लेकर खेती करते थे, इसी वजह से उन्होंने धान उसी व्यापारी को 1350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से दे दिया।
    • हजारीबाग जिले के ही डहरभंगा के किसान परमेश्वर प्रसाद यादव ने बताते हैं कि प्रखंड में धान क्रय केंद्र काफी विलंब से खुला। हम किसानों के पास धान को रखने की जगह की कमी होती है और अपने उत्पादन को बेचकर महाजनों को पैसा देना होता है। इसलिए व्यापारी को धान समय पर देकर पैसा भी नकद ले लेते हैं। उन्होंने 1400 रुपये क्विंटल में धान बेचा।
    • दुमका के जामा प्रखंड के घोड़ीबाद गांव के किसान सनत हांसदा सीधे मिल में धान बेचते हैं। अभी इन्होंने धान नहीं बेचा है। सनत को सरकारी स्तर पर धान क्रय की व्यवस्था सरल नहीं लगती है और इसका बड़ा कारण वे पैसा मिलने में विलंब को मानते हैं। सनत कहते हैं कि किसानों को तुरंत पैसे की दरकार होती है। कहा कि इस बार भी वे 1450 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान मिल में बेचेंगे, यही उम्मीद है।
    • दुमका के रानीश्वर प्रखंड के पाटजोड़ के किसान निर्भय मंडल ने बताया कि वह समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए 42 क्विंटल धान सुखजोड़ा के लैम्पस शाखा ले गए थे। वहां के सहायक प्रबंधक ने धान लेने से इन्कार कर दियाथा। बाध्य होकर बाजार में 1380 रुपये क्विंटल की दर से धान बेच दिया ।
    • दुमका के रामगढ़ प्रखंड के किसान महेंद्र कुमार भगत ने कहा कि अभी तक धान तैयार नहीं हुआ है। खलिहान में धान रखा हुआ है। बारिश के कारण थोड़ा विलंब हुआ है। कुछ दिनों के बाद लैंपस के माध्यम से ही धान बेचेंगे।
    • पलामू जिला के हैदरनगर प्रखंड अंतर्गत खरगड़ा गांव के किसान भीषम सिंह ने बताया कि लगभग 50 क्विंटल धान बेचने के लिए कई बार चौकड़ी स्थित पैक्स केंद्र गए। बावजूद इसके खरीद नहीं हुई। धान जब क्रय केंद्र पर नहीं बिका तो मजबूरन 1300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से आढ़त में बेचना पड़ा। धान क्रय केंद्र में खरीदारी का मैसेज आने के बावजूद खरीदारी नही हो सकी।
    • चाईबासा कुमारडुंगी के रौशन हेंब्रम कहते हैं कि मैंने धान बेचने के लिए अपना पंजीकरण करवाया है। कुमारडुंगी के धान क्रय केंद्र में बात करने से मैसेज आने के बाद ही धान लेने की बात कहते है। वर्तमान मैसेज का इंतजार कर रहा हूं घर में धान चूहे खा रहे हैं। समय पर विभाग ध्यान नहीं खरीदेगा तो मजबूरी में बाजार में धान बेचना पड़ेगा।
    • कुमारडुंगी के ही पटेल गागराई कहते हैं कि धान अधिप्राप्ति केंद्र में धान नहीं लेने के कारण मजबूरी में कुमारडुंगी बाजार में 11 सौ रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से धान बेच दिए। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि जिला के सभी किसान धान अधिप्राप्ति केंद्र में ही धान बेचना चाहते हैं लेकिन व्यवस्था बहुत खराब है।

    फैक्ट फाइल

    • धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य : 80.00 लाख क्विंटल
    • 29 जनवरी तक धान क्रय : 15.31 लाख क्विंटल
    • धान क्रय के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या : 2,34,724
    • अब तक कितने किसानों ने एमएसपी पर धान बेचा : 30,831
    • एमएसपी केंद्र : 652
    • मिलर : 89
    • एसएमएस भेजा गया : 172509

    (स्रोत : खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले की ई-उपार्जन वेबसाइट)