Jharkhand: अधिकारियों की उदासीनता राज्य के विकास में बाधक, सरकारी आश्वासन समिति ने अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाए सवाल
झारखंड विधानसभा की सरकारी आश्वासन समिति ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। अधिकारियों द्वारा संतोषजनक प्रतिवेदन समय पर नहीं देने से विकास यो ...और पढ़ें

झारखंड विधानसभा की सरकारी आश्वासन समिति ने राज्य के अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
राज्य ब्यूरो. रांची। झारखंड विधानसभा की सरकारी आश्वासन समिति ने राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि अधिकारी न तो समितियों के साथ सहयोग करते हैं और न ही समय पर संतोषजनक प्रतिवेदन उपलब्ध कराते हैं। परिणामस्वरूप विधानसभा समितियां सम्यक और प्रभावी प्रतिवेदन तैयार नहीं कर पातीं, जिससे राज्य की विकास योजनाएं बार-बार अटक जाती हैं।
समिति ने इसे राज्य के विकास में बड़ा रोड़ा बताया है। समिति के अनुसार सदन में विभागीय मंत्रियों द्वारा दिए जाने वाले तमाम आश्वासनों को विभागीय स्तर पर गंभीरता से लागू नहीं किया जाता। कई मामलों में अधिकारी इन आश्वासनों को येन-केन-प्रकारेण भटका देते हैं, जो कि अत्यंत चिंताजनक है।
समिति ने स्पष्ट कहा कि कई आश्वासन प्रदेश के गठन काल से अब तक लंबित पड़े हैं। सरकारी आश्वासनों की प्रगति का आकलन करने के लिए समिति ने कई विभागीय बैठकों एवं समीक्षात्मक चर्चाओं का आयोजन किया। इस दौरान अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदनों की विस्तृत समीक्षा की गई। समीक्षा में 78 आश्वासनों को कार्यान्वित मानते हुए उन्हें ड्राप करने का निर्णय लिया गया।
जिलों की यात्रा में उजागर हुई जमीनी हकीकत
समिति ने इस वर्ष सितंबर माह में चतरा, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह और देवघर जिलों का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान भी वही स्थिति देखने में आई। क्षेत्रीय अधिकारी समिति के साथ अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहे थे। कई जिलों में अधिकारियों ने समय पर प्रतिवेदन नहीं दिए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जमीनी स्तर पर जवाबदेही की भारी कमी है।
जांच में यह भी पाया गया कि कई अधिकारी मामलों को सुलझाने के बजाय उलझाने में समय नष्ट करते हैं। इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है, जिन्हें अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।समिति की अनुशंसा, जवाबदेही तय करने पर जोर
अधिकारियों को लंबित आश्वासनों के क्रियान्वयन में रुचि लेने के लिए सख्त संदेश दिया जाए। लंबित आश्वासनों के पूरा होने से लोकहित से जुड़े मुद्दे स्वतः सुलझते हैं। सरकार इसे प्राथमिकता दे। समिति की विभिन्न बैठकों में दिए गए निर्देशों का अधिकारी अक्षरशः पालन करें। लंबित आश्वासनों के त्वरित क्रियान्वयन के लिए एक अलग इमरजेंसी सेल गठित किया जाए।

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