Move to Jagran APP

टीबी के सफल इलाज में झारखंड नंबर वन

झारखंड में टीबी के सफल इलाज की दर 90.9 फीसद है। नीति आयोग ने इसे भी सुधार की श्रेणी में रखा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 13 Feb 2018 01:34 PM (IST)Updated: Tue, 13 Feb 2018 01:34 PM (IST)
टीबी के सफल इलाज में झारखंड नंबर वन

नीरज अम्बष्ठ, रांची। स्वास्थ्य सुधार को लेकर किए गए प्रयासों में अव्वल रहे झारखंड में टीबी (यक्ष्मा) के इलाज में भी सबसे अच्छा काम हुआ है। इस गंभीर बीमारी के सफल इलाज में झारखंड अन्य सभी बड़े राज्यों में सबसे आगे है। नीति आयोग द्वारा पिछले सप्ताह जारी हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। झारखंड में टीबी के सफल इलाज की दर 90.9 फीसद है। नीति आयोग ने इसे भी सुधार की श्रेणी में रखा है। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 में झारखंड में टीबी के सफल इलाज की दर 89.8 फीसद थी जो वर्ष 2015 में 90.9 फीसद हो गई।

loksabha election banner

रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में टीबी के नोटिफिकेशन की दर 100 से बढ़कर 108 हो गई। वर्ष 2015 में एक लाख आबादी पर 100 मरीजों का नोटिफिकेशन होता था। वर्ष 2015 में यह दर 108 हो गई। इसका मतलब यह नहीं कि झारखंड में टीबी रोगियों की संख्या बढ़ गई। यहां टीबी मरीजों की पहचान तथा उनके नोटिफिकेशन की दर बढ़ गई।

राज्य सरकार ने टीबी के मरीजों का नोटिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत सरकार के अलावा निजी अस्पतालों, नर्सिग होम तथा चिकित्सकों को इस बीमारी के मरीज पाए जाने पर इसकी जानकारी सरकार को देना अनिवार्य है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि इसके सभी मरीजों को डॉट्स की दवा दी जा सके, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रमाणित किया है। यह दवा सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क उपलब्ध है। इसी बीमारी के नोटिफिकेशन की बात करें तो इसकी दर सबसे अधिक हिमाचल प्रदेश में 207 तथा सबसे कम जम्मू-कश्मीर में 72 है।

85 फीसद से अधिक होनी चाहिए सफलता दर :

नेशनल हेल्थ पालिसी के तहत टीबी के इलाज की सफलता दर 85 फीसद से अधिक होनी चाहिए। हालांकि अधिसंख्य बड़े राज्यों ने इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। महाराष्ट्र में यह दर सबसे कम 84.2 फीसद है।

39 फीसद एचआइवी पॉजीटिव की ही थैरेपी :

झारखंड में एक ओर टीबी मरीजों के सफल इलाज की दर सबसे अधिक है, वहीं दूसरी ओर एचआइवी पाजीटिव लोगों को एंटी रेट्रोवल थैरेपी (एआरटी) देने की दर निर्धारित मानक से काफी कम है। हालांकि इस दर में भी आंशिक सुधार हुआ है। झारखंड में ऐसे लोगों को एआरटी देने की दर 36.1 फीसद से बढ़कर 39.4 फीसद हो गई है। लेकिन नेशनल हेल्थ पालिसी के अनुसार यह दर न्यूनतम 90 फीसद होनी चाहिए। बड़े राज्यों में केवल जम्मू-कश्मीर ही इस मानक को पूरा करता है। 29 राज्यों में जम्मू-कश्मीर, मेघालय तथा मिजोरम में यह दर 80 से 90 फीसद के बीच है।

यह भी पढ़ेंः थाना क्षेत्र में बिकने की बाध्यता से मुक्त होगी आदिवासी भूमि

यह भी पढ़ेंः हर गरीब को 2020 तक घर मुहैया कराएंगेः रघुवर दास


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.