थाना क्षेत्र में बिकने की बाध्यता से मुक्त होगी आदिवासी भूमि
सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री आदिवासियों के ही बीच निर्धारित थाना क्षेत्र में ही की जा सकती है।
राज्य ब्यूरो, रांची।छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) के तहत आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने पर आम सहमति बनाने की कवायद तेज हो गई है। पिछले महीने संताल परगना प्रमंडल का दौर लगा चुकी टीएसी की उप समिति अब दक्षिणी छोटानागपुर और कोल्हान प्रमंडल का दौरा करेगी। कल्याण सह महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री डा. लुइस मरांडी की अध्यक्षता वाली यह टीम 14 फरवरी को जहां गुमला में सिमडेगा और लोहरदगा की संयुक्त बैठक करेगी, वहीं 16 फरवरी को सरायकेला में पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम के सांसदों, विधायकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता से इस मसले पर राय मशविरा करेगी।
उप समिति में विधायक रामकुमार पाहन, मेनका सरदार और सेवानिवृत्त आइएएस अफसर जेबी तुबिद शामिल हैं। उप समिति इन बैठकों के माध्यम से संताल परगना क्षेत्र में गैर जनजातियों के बीच आपस में संबंधित क्षेत्र की जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक पर भी विचार-विमर्श करेगी।
उल्लेखनीय है कि सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री आदिवासियों के ही बीच निर्धारित थाना क्षेत्र में ही की जा सकती है। टीएसी के साथ-साथ अन्य आदिवासी संगठनों द्वारा यह बाध्यता खत्म करने की मांग वर्षो से हो रही है। संगठनों का तर्क है कि थाना क्षेत्र की बाध्यता वर्तमान समय में अप्रासंगिक हो चुकी है। यह व्यवस्था तब की गई थी, जब एक थाना क्षेत्र में कई जिले हुआ करते थे। आज एक जिले में कई थाने खुल आए हैं।
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