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    Jharkhand: सरना धर्म कोड को लेकर मुखर हो रहे आदिवासी संगठन, एकजुटता के साथ बड़े आंदोलन की बना रहे रणनीति

    By Pradeep singhEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Tue, 14 Mar 2023 08:21 PM (IST)

    जनजातीय समुदाय के लिए जनगणना में अलग सरना धर्म कोड को लेकर राज्य में राजनीति तेज हो रही है। विविध आदिवासी संगठन इसे लेकर मुखर हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ ही दिनों में रांची में इसे लेकर तीन बड़ी रैलियां हो चुकी हैं।

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    धर्म कोड समेत अन्य मुद्दों पर राची में कुछ दिनों के अंतराल पर तीन बड़ी रैलियां।

    राज्य ब्यूरो, रांची: जनजातीय समुदाय के लिए जनगणना में अलग सरना धर्म कोड को लेकर राज्य में राजनीति तेज हो रही है। इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ दिनों के अंतराल पर राजधानी में तीन बड़ी रैलियां विभिन्न आदिवासी संगठनों के बैनर तले हुई हैं।

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    रैलियों में जुट रही भारी भीड़

    16 फरवरी को बिशुनपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा के नेतृत्व में आदिवासी अधिकार महारैली, पांच मार्च को झारखंड बचाओ महारैली और 12 मार्च को सरना धर्म कोड महारैली हुई। तीनों रैलियों में भारी भीड़ जुटी। इनका नेतृत्व भले ही अलग-अलग हाथों में है लेकिन मुद्दों को लेकर ये एकजुट हैं।

    सरना धर्म कोड को लेकर लगातार दबाव बना रहे आदिवासी संगठन

    उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा ने सर्वसम्मति से जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज रखा है। इसे लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। यही वजह है कि आदिवासी संगठन इसे लेकर लगातार दबाव बना रहे हैं।

    कुड़मियों को आदिवासी बनाने की मांग का भी हो रहा विरोध

    इन रैलियों की सफलता ने आयोजकों को ऊर्जा प्रदान किया है। यही वजह है कि अब इनके बीच एकजुटता की भी मांग उठ रही है। सरना धर्म कोड की मांग के अलावा ये संगठन कुड़मियों को आदिवासी बनाने की मांग का जमकर विरोध कर रहे हैं।

    इन मुद्दों पर राजनीतिक ध्रुवीकरण की भी संभावना

    चुनाव के पूर्व इन मुद्दों को लेकर राजनीतिक धुव्रीकरण तय है। आदिवासी केंद्रित राजनीति की वजह से सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को फिलहाल इसका लाभ मिलता दिख रहा है। झामुमो इसे लेकर मुखर भी है। मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि भाजपा आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की राह में बाधा है।

    सालखन का सुझाव, भाजपा को लेना होगा विश्वास में

    आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने सरना धर्म कोड के लिए भाजपा को विश्वास में लेने का सुझाव दिया है। उन्होंने इस मामले को लेकर आगे बढ़ रहे सभी संगठनों से इस संबंध में आग्रह किया है कि धर्म कोड नहीं मिलने पर वोट नहीं देने की बातें नकारात्मक है।

    सालखन बोले, सरना कोड दो आदिवासी वोट लो का देना होगा नारा

    सालखन ने कहा कि हमें नारा यह देना होगा कि सरना कोड दो, आदिवासी वोट लो। भाजपा से दूरी बनाना और उसके खिलाफ यूपीए का साथ लेना सही नहीं है। जो आदिवासी विदेशी भाषा-संस्कृति और धर्म से जुड़े अथवा प्रभावित हैं, वे अपना उल्लू इसके माध्यम से सीधा करना चाहते हैं। इसके लिए संयुक्त रूप से दबाव बनाना होगा। अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम करना होगा।