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    झारखंड के लोहरदगा में गांव के लोगों के लिए वरदान है यह पेड़; जड़ से होकर गुजरने वाले पानी में है कई औषधीय गुण

    By Sanjay KumarEdited By:
    Updated: Mon, 22 Aug 2022 09:30 AM (IST)

    Jharkhand Lohardaga News झारखंड के लोहरदगा जिले में एक ऐसा पेड़ है जो वहां के गांव के लोगों के लिए वरदान है। दरअसल पेड़ की जड़ से निकलते हुए जलधारा को यहां के ग्रामीण औषधीय गुणों से संपन्न मानते हैं।

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    Jharkhand, Lohardaga News: झारखंड के लोहरदगा में गांव के लोगों के लिए वरदान है यह पेड़।

    लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। Jharkhand, Lohardaga News पेड़ और पानी दोनों ही जीवन के लिए अमृत से कम नहीं है। पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं तो पानी हमें जीवन। न तो हम ऑक्सीजन के बिना रह सकते हैं और न ही पानी के बिना। दोनों ही चीजें अलग-अलग जगह पर मिलती हैं। लोहरदगा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत कैमो गांव में दोनों ही चीजें एक ही जगह पर मिलती है। जी हां ठीक सुना आपने। पाकड़ के एक पेड़ के नीचे जल धारा बहती है। यही जलधारा इस गांव की पानी की बड़ी आवश्यकता को पूरा करती है। गांव के लोग यहां के पानी का उपयोग पीने, कपड़ा धोने, नहाने और खेतों की सिंचाई के लिए भी करते हैं। पेड़ की जड़ से निकला हुआ यह पानी इस गांव की जिंदगी है।

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    औषधीय गुणों से है संपन्न

    पाकड़ के पेड़ की जड़ से निकलते हुए इस जलधारा को यहां के ग्रामीण औषधीय गुणों से संपन्न मानते हैं। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि इस पेड़ की जड़ से निकला हुआ पानी कई बीमारियों को ठीक कर देता है। चर्म रोग सहित कई बीमारियां इसके पानी से ठीक होती है। यही कारण है कि गांव में हैंडपंप, कुआं और नदी होने के बावजूद भी लोग यहां के पानी का हीं ज्यादातर उपयोग करते हैं। यहां का पानी बेहद मीठा और निर्मल है। यहां पर पाकड़ पेड़ की जड़ से निकलने वाला पानी लोगों को सालों भर मिलता है। गर्मी के मौसम में भी यहां की जलधारा गांव के लोगों को जीवन देती है। लोग यहां के पानी का उपयोग ही करते हैं इस पानी को लेकर उनकी आस्था भी है।

    पूजा अनुष्ठान में भी होता है उपयोग

    यहां के पानी का उपयोग पूजा अनुष्ठान में भी किया जाता है। ना सिर्फ हिंदू धर्म समाज के लोग, बल्कि सरना समाज के लोग भी यहां के पानी का उपयोग अपने-अपने पूजा अनुष्ठान के लिए करते हैं। इसी पाकर के पेड़ के समीप ही मंदिर भी स्थित है। जहां पर पूजा-अर्चना होती है। विशेषकर कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर यहां की परंपरा बिल्कुल अलग है। लोग पूजा अर्चना कर भक्ति के रस में डूबे रहते हैं। इस पेड़ की जड़ से निकलते हुए पानी का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में भी किया जाता है। दैनिक उपयोग को लेकर भी लोग इस पेड़ की जड़ से निकलते हुए पानी पर निर्भर हैं। गांव के लोगों की यह आस्था दूर-दूर तक फैली हुई है। आसपास के लोग भी अक्सर यहां का पानी औषधीय गुणों के कारण ले जाते हैं।