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    झारखंड शराब घोटालाः गिरफ्तार एजेंसी कर्मी नीरज से एसीबी की कड़ी पूछताछ, फंसेगी अफसरों की गर्दन; उगले कई राज

    Updated: Fri, 13 Jun 2025 08:24 PM (IST)

    झारखंड में शराब घोटाले की जांच में एसीबी ने नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार किया। पूछताछ में नीरज ने खुलासा किया कि वह एमआरपी से अधिक वसूली गई रकम वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाता था। उसे अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था और वह उत्पाद सचिव के रिश्तेदार के संपर्क में था। जांच में 57 करोड़ रुपये की वसूली का पता चला।

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    गिरफ्तार एजेंसी कर्मी नीरज से एसीबी की कड़ी पूछताछ, फंसेगी अफसरों की गर्दन, उगले कई राज

    राज्य ब्यूरो, रांची। बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। शुक्रवार को एसीबी ने घोटाले में गिरफ्तार मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह से रिमांड के दौरान कड़ी पूछताछ की। पूछताछ में नीरज ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।

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    उसने स्वीकार किया कि वह शराब की बिक्री में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक वसूले गए पैसे को अवैध तरीके से इकट्ठा कर वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाने का काम करता था। नीरज को इस काम में वरीय अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था, और वह उत्पाद सचिव मनोज कुमार के एक करीबी रिश्तेदार के संपर्क में था, जिसके माध्यम से यह राशि ऊपर तक पहुंचाई जाती थी।

    एसीबी की जांच में सामने आया है कि नीरज कुमार सिंह इस घोटाले में वसूली का एक प्रमुख किरदार था। वह निजी प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के लिए काम करता था, जो झारखंड में शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई करती थी।

    जांच में पाया गया कि शराब की प्रत्येक बोतल, विशेषकर बीयर पर 10 रुपये की अतिरिक्त वसूली की जाती थी, जिससे एक साल में 57 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इकट्ठा की गई। यह राशि नीरज और उत्पाद सचिव मनोज कुमार के कथित करीबी रिश्तेदार अंशु के जरिए वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाई जाती थी। अंशु को हर महीने इस अवैध वसूली से 50 लाख रुपये दिए जाते थे।

    फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर हासिल किया ठेका

    एसीबी ने नीरज से फर्जी बैंक गारंटी के मामले में भी पूछताछ की। नीरज ने मार्शन और विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज जैसी कंपनियों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी, जिसके आधार पर इन्हें शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई का ठेका मिला। नीरज ने इन फर्जी गारंटियों के नवीकरण के लिए झारखंड हाईकोर्ट में भी फर्जी दस्तावेज दाखिल किए थे।

    पूछताछ में नीरज ने दावा किया कि उसने यह सब प्लेसमेंट एजेंसियों के निर्देश पर किया, लेकिन एसीबी सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत थी। इस घोटाले में अब तक पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, जेएसबीसीएल के पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार और सुधीर कुमार दास सहित कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।

    एसीबी ने उत्पाद सचिव मनोज कुमार और पूर्व आयुक्त अमित प्रकाश को भी पूछताछ के लिए समन जारी किया है। साथ ही, दो आइएएस अधिकारियों करण सत्यार्थी और फैज अक अहमद, जो इस घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं, से गवाह के तौर पर पूछताछ की जाएगी। कई शराब कंपनियों और प्लेसमेंट एजेंसियों के निदेशकों को भी समन भेजा गया है।

    जांच में यह भी सामने आया है कि 2022 की नई उत्पाद नीति में जानबूझकर बदलाव किए गए, जिससे फर्जी होलोग्राम और अवैध शराब बिक्री को बढ़ावा मिला। इस नीति से राज्य को 38 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ।

    एसीबी के अनुसार, नीरज की पूछताछ से घोटाले के और बड़े खुलासे होने की संभावना है। जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस अवैध राशि का कितना हिस्सा किस-किस अधिकारी तक पहुंचा और क्या इसमें और भी बड़े नाम शामिल हैं।