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    Jharkhand News: ट्रोलिंग से लेकर गालीगलौज तक, माननीयों के लिए आफत बनता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

    By Pradeep singhEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Thu, 30 Mar 2023 11:07 PM (IST)

    सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए सजा का प्रविधान होने के बावजूद फेसबुक और ट्विटर पर अमर्यादित टिप्पणियों की भरमार है। राज्य के कई नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट के कमेंट बॉक्स इससे भरे पड़े हैं। अभद्र टिप्पणी और वीडियो चर्चा के साथ-साथ तनाव की भी वजह बनते हैं।

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    आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, हाल ही में एक युवती की टिप्पणी बनी है चर्चा की वजह।

    राज्य ब्यूरो, रांची: इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए सजा का प्रविधान होने के बावजूद फेसबुक और ट्विटर पर अमर्यादित टिप्पणियों की भरमार है। राज्य के कई नेताओं के फेसबुक और ट्विटर अकाउंट के कमेंट बॉक्स इससे भरे पड़े हैं। ऐसी अभद्र टिप्पणी और वीडियो चर्चा के साथ-साथ तनाव की भी वजह बनती है।

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    CM सोरेन को लेकर ऐसा ही एक वीडियो पोस्ट चर्चा में

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर एक ऐसा ही वीडियो पोस्ट चर्चा में है, जिसमें एक युवती अपशब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है। इसी तरह मंत्री मिथिलेश ठाकुर को लेकर एक आपत्तिजनक पोस्ट पर आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है।

    आपत्तिजनक टिप्पणियों का नहीं थम रहा सिलसिला

    यह स्थिति तब है जब शिकायतें मिलने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसके बावजूद यह सिलसिला थम नहीं रहा है। आश्चर्यजनक यह भी है कि ऐसा करने वालों का समर्थन भी बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है। आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले कुछ लोगों पर आइटी एक्ट के तहत पहले भी कार्रवाई होती रही है।

    अमर्यादित टिप्पणी के लिए नहीं होना चाहिए कोई स्थान

    पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी अमर्यादित टिप्पणी की बढ़ती प्रवृति को गलत बताते हुए कहते हैं कि इसके लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। नीतिगत मसलों पर विरोध या किसी भी मामले पर प्रतिक्रिया शालीनता से दिया जाना चाहिए।

    लोकतंत्र में सरकार के गलत निर्णयों का जोरदार विरोध तार्किक व कडे़ तेवर से जरूर हो, लेकिन अपशब्दों का प्रयोग कतई उचित नहीं है। ऐसी भाषा का प्रयोग, चाहे वह किसी दल का हो, गलत है।

    पूर्व डीजीपी ने कहा, शालीनता का हद लांघना गलत

    इंटरनेट मीडिया पर अपशब्दों के प्रयोग पर राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक एमवी राव ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इसे लेकर उन्होंने ट्विट किया है कि इस मसले पर बोलने का ना तो मुझे कोई अधिकार ना औचित्य है। केवल दो बातें रखने का मौका चाहता हूं। लोकतंत्र में बोलने एवं आंदोलन करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन शालीनता का हद लांघने पर बोलने का तथा हिंसात्मक होने पर आंदोलन का अधिकार खत्म हो जाता है।

    क्या होती है कार्रवाई

    आईटी एक्ट 66 की धाराओं के तहत शिकायत करने के बाद कार्रवाई का प्रविधान है। राज्य में इससे जुड़ी शिकायतों पर कई केस भी दर्ज हैं।