Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Naxalite Surrender: छह साल की उम्र में बना नक्सली, फिर वहां से कैसे बना एरिया कमांडर, जानिए इनके नक्सली गतिविधियां...

    By Sanjay KumarEdited By:
    Updated: Wed, 02 Mar 2022 08:52 AM (IST)

    Jharkhand Naxalite Surrender दस लाख के इनामी नक्सली सुरेश मुंडा ने आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पण के दौरान सुरेश मुंडा ने बताया कि वह 25 साल तक नक्सली गतिविधियों में शामिल रहा। करीब छह साल की उम्र के आसपास ही वह कुंदन पाहन को दस्ता में शामिल हो गया था।

    Hero Image
    Jharkhand Naxalite Surrender: दस लाख के इनामी नक्सली का आत्मसमर्पण

    रांची, (राज्य ब्यूरो)। Jharkhand Naxalite Surrender आत्मसमर्पण के मौके पर दस लाख के इनामी सुरेश मुंडा ने बताया कि वर्ष 1997-98 में उसकी उम्र करीब छह साल के आसपास थी। तब कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन का दस्ता गांव में आता-जाता था। उसी समय कुंदन पाहन को दस्ता में शामिल करने के लिए उसे अपने साथ लेकर गया था। वर्ष 1998 में कुंदन पाहन ने उसे चांडिल-बुंडू जोन में पुलिस की गतिविधियों की सूचना पार्टी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी। वह 12-13 वर्ष की उम्र तक कुंदन पाहन की पार्टी में रहा। वर्ष 2002 में उसे एरिया कमांडर बना दिया गया। वर्ष 2004 में सुरेश मुंडा गिरफ्तार हुआ और होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेजा गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नक्सली का आत्मसमर्पण।

    सुरेश मुंडा ने ये भी बताया कि 2010 में जेल से छूटने के बाद वह माओवादी नकुल यादव व दिनेश उर्फ चश्मा से मिला। दिनेश ने उसे बुद्धेश्वर और कृष्णा अहीर उर्फ प्रसाद के साथ काम करने का आदेश दिया। 2012 में कुंदन पाहन ने उसे पोड़ाहाट का सब जोनल कमांडर बना दिया था। उसे एसएलआर हथियार भी मिला। बाद में प्लेनम मिटिंग में जोनल कमांडर बना। केंद्रीय कमेटी सदस्य सुधाकरण की टीम को उसने गुमला और बूढ़ा पहाड़ तक पहुंचाया। इस टीम में बुद्धेश्वर भी शामिल था।

    कभी पुलिस का चालक था लोदरो

    खूंटी का रहने वाला दो लाख रुपये का इनामी एरिया कमांडर लोदरो लोहरा कभी पुलिस का चालक था, जो बाद में नक्सली बन गया था। वह कक्षा पांच तक पढ़ा -लिखा है। वह पुलिस की गाड़ी भी चलाता था। वर्ष 2009 में जब कुंदन पाहन को पता चला तो उसने लोदरो को धमकाया कि वह पुलिस के लिए मुखबिरी करना छोड़ दे। दिसंबर-2010 में वह नक्सलियों से जुड़ गया। उसे खूंटी, मुरहू, बीरबांकी, सायको आदि क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई। 2016 में अनल उर्फ पतिराम मांझी ने उसे सुरेश मुंडा के साथ पोड़ाहाट भेज दिया।

    काेल्हान में है मिसिर बेसरा, अनल ने बुंडू-चांडिल में संभाल ली है कमान

    पुलिस की पूछताछ में आत्मसमर्पण करने वाले दोनों नक्सलियों ने यह स्वीकारा है कि एक करोड़ का इनामी मिसिर बेसरा वर्तमान में कोल्हान क्षेत्र में है। वहीं अनल उर्फ पतिराम मांझी ने बुंडू-चांडिल जोनल में अपना ठिकाना बना रखा है।