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    Jharkhand Police: हटाए जाएंगे माओवादी विरोधी अभियान के लिए प्रतिनियुक्त जवान,समिति कर रही समीक्षा

    By Dilip Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 06:08 PM (IST)

    झारखंड में माओवादी विरोधी अभियान में लगे अनावश्यक बलों को हटाया जा सकता है। डीजीपी के नेतृत्व में गठित समिति बलों की आवश्यकता का आकलन करेगी। गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ और एसएसबी की बटालियन को दूसरे राज्यों में भेजने का प्रस्ताव दिया है। पुलिस मुख्यालय ने सभी शाखाओं से पुलिसकर्मियों की आवश्यकता की रिपोर्ट मांगी है।

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    माओवादी विरोधी अभियान के लिए प्रतिनियुक्त सीआरपीएफ।

    राज्य ब्यूरो,रांची।  राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में माओवादी विरोधी अभियान के नाम पर अनावश्यक प्रतिनियुक्त बलों को हटाया जा सकता है। इन्हें हटाने से पूर्व डीजीपी तदाशा मिश्रा के निर्देशन में गठित झारखंड पुलिस के अधिकारियों की चार सदस्यीय समिति राज्य में चल रहे माओवादी विरोधी अभियान में लगे बलों की आवश्यकता का आकलन करेगी।

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    समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस मुख्यालय बलों के हटाने आदि के बिंदु पर आगे कोई निर्णय लेगा। इसके लिए जो समिति गठित की गई है, उनमें झारखंड जगुआर के आइजी अनूप बिरथरे अध्यक्ष हैं।

    इसके अलावा समिति में शामिल तीन सदस्यों में झारखंड जगुआर के डीआइजी इंद्रजीत महथा, जैप के डीआइजी कार्तिक एस. व एसआइबी के एसपी शामिल हैं।

    गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के 15 अक्टूबर के पत्र के अनुसार झारखंड राज्य के पांच सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (एसआरइ) जिलों को मुक्त किया गया है। एसआरइ जिले माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र के अनुसार घोषित होते हैं।

    माओवाद प्रभावित जिले घटने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड में प्रतिनियुक्ति केंद्रीय बलों में से तीन बटालियनें जिनमें सीआरपीएफ की दो व एसएसबी की एक बटालियन की प्रतिनियुक्ति दूसरे राज्यों में करने का प्रस्ताव दिया है।

    इसके मद्देनजर ही बल की आवश्यकता की समीक्षा का प्रस्ताव दिया गया है। इसके मद्देनजर ही डीजीपी ने चार सदस्यीय समिति गठित की है। समिति को निर्देश दिया गया है कि ये समिति संबंधित जिले के जोनल आइजी, रेंज डीआइजी, एसएसपी, एसपी के अलावा सीआरपीएफ, एसएसबी के पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए संबंधित बिंदुओं पर विचार-विमर्श करेंगे। 

    इसके बाद एक समीक्षात्मक रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपेंगे। फिर गृह विभाग के उक्त प्रस्ताव पर पुलिस मुख्यालय आगे विचार करेगा कि बल को हटाया जाय या नहीं।

    गठित चार सदस्यीय समिति को डीजीपी ने जो सौंपा है टास्क

    •  ये नक्सल, अपराध, विधि व्यवस्था की संवेदनशीलता के आधार पर प्रतिनियुक्त बलों का आकलन करते हुए वर्तमान प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता का आकलन करेंगे।
    •  ये नक्सल, अपराध, विधि व्यवस्था के मद्देनजर पोस्ट, पिकेट में प्रतिनियुक्त बलों की संख्या का आकलन करेंगे।
    •  ये जिलों में वैसे पोस्ट, पिकेट हैं, जो आवश्यक नहीं हैं, जिसे बंद किया जा सकता है, उसकी भी रिपोर्ट देंगे।

    शाखाओं में कितने बल की आवश्यकता, पुलिस मुख्यालय ने मांगी रिपोर्ट

    पुलिस मुख्यालय ने अपने सभी शाखाओं के प्रमुखों से यह रिपोर्ट मांगी है कि वे अपने यहां प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारियों, कर्मियों की आवश्यकता की विवरणी उपलब्ध कराएं।

    इसके लिए डीजीपी कार्यालय ने एडीजी अभियान, आइजी अभियान, आइजी मुख्यालय, आइजी प्रशिक्षण, आइजी मानवाधिकार, डीआइजी बजट, डीआइजी कार्मिक, डीआइजी सड़क सुरक्षा, सार्जेंट मेजर पुलिस मुख्यालय से पत्राचार किया है।

    पत्र के अनुसार पुलिस मुख्यालय में प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी, कर्मियों की सूची डीजीपी के सामने प्रस्तुत की गई थी। उन्होंने पुलिस मुख्यालय में आवश्यकता से अधिक पुलिस पदाधिकारियों, कर्मियों की प्रतिनियुक्ति का उल्लेख करते हुए संबंधित निर्देश् दिया है।

    उन्होंने उपरोक्त पदाधिकारियों से पूछा है कि उनके अधीन की शाखाओं में वास्तव में कितने पुलिस पदाधिकारियों-कर्मियों की आवश्यकता है।

    जिन पुलिस पदाधिकारियों, कर्मियों को कार्यहित में रखना आवश्यक है, उनके नाम के सामने कार्य का बयौरा अंकित करते हुए उसकी सूची उपलब्ध कराएं।

    अगर उनके अधीन की शाखाओं में आवश्यकता से अधिक पुलिस पदाधिकारी, कर्मी हैं, उन्हें पैतृक जिला, इकाई, वाहिननी में वापस भेजना है तो उसकी भी सूची नाम, पद आदि के साथ उपलब्ध कराएं। दो दिनों के भीतर इससे संबंधित रिपोर्ट तलब की गई है।