Jharkhand Liquor scam: IAS कर्ण सत्यार्थी ने किया बड़ा खुलासा, कहा- गड़बड़ी में कार्रवाई की तो विनय चौबे ने डांटा, करा दिया ट्रांसफर
शराब घोटाले मामले में जमशेदपुर के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने कोर्ट में बयान दिया कि विनय चौबे ने उत्पाद विभाग पर कब्जा कर रखा था। उन्होंने आरोप लगाया ...और पढ़ें

शराब घोटाले से जुड़े मामले में जमशेदपुर के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। शराब घोटाले से जुड़े मामले में जमशेदपुर के उपायुक्त (डीसी) और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी कर्ण सत्यार्थी ने कोर्ट में दिए अपने बयान में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
कर्ण सत्यार्थी ने न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया कि उत्पाद सचिव रहते हुए विनय चौबे ने झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड और उत्पाद विभाग पर पूरी तरह अपना नियंत्रण बना रखा था।
किसी अन्य अधिकारी को उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया गया। विनय चौबे ने उन कंपनियों को भुगतान करने का दबाव बनाया, जिन्हें थोक शराब बिक्री का लाइसेंस और मैनपावर सप्लाई का काम मिला था।
कर्ण सत्यार्थी ने जब नियमों के तहत भुगतान रोकने की बात कही तो उन्हें बुरी तरह डांटा गया और ट्रांसफर कराने की धमकी दी गई।
जब उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्राचार शुरू किया तो अंततः विनय चौबे ने उनका उत्पाद विभाग से ट्रांसफर करा दिया।
मौखिक आदेशों का दबाव, बाहरी लोगों का भी हस्तक्षेप
अपने बयान में कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि विनय चौबे ने विभाग में मौखिक आदेशों का पालन अनिवार्य कर दिया था। लिखित प्रक्रिया और नियमों को दरकिनार कर फैसले लिए जाते थे।
इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी भी उत्पाद विभाग के निर्णयों में हस्तक्षेप करते थे, जिससे विभागीय कार्यप्रणाली प्रभावित हुई।
कर्ण सत्यार्थी का सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह रहा कि उत्पाद विभाग के कार्यों और निर्णयों में चोबे की करीबी विनय सिंह और अरविंद सिंह भी अवैध रूप से हस्तक्षेप करते थे।
उनके इस हस्तक्षेप के कारण राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ, जबकि विनय चौबे, विनय सिंह और उनके सहयोगियों को आर्थिक लाभ पहुंचा।
गड़बड़ी पकड़ने पर बढ़ा दबाव
कर्ण सत्यार्थी ने बताया कि उत्पाद विभाग में आयुक्त के पद पर स्थानांतरण के बाद उन्होंने जल्द ही पूरी गड़बड़ी को पकड़ लिया था। इसकी जानकारी उन्होंने तत्कालीन विभागीय सचिव विनय चौबे को दी।
लेकिन गड़बड़ी करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई करने की बजाय विनय चौबे ने आंख मूंदकर उनका समर्थन किया। कर्ण सत्यार्थी ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि पूरा बयान उन्होंने स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव के दिया है।

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