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    Jharkhand Liquor Scam: आइएएस अमीत कुमार से एसीबी ने पूछे तीखे सवाल, अमीत ने कहा- मेरे हटने के बाद का है मामला

    By Dilip Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 08:13 PM (IST)

    झारखंड में शराब घोटाला मामले में एसीबी ने पूर्व आयुक्त उत्पाद आईएएस अमित कुमार से पूछताछ की। एसीबी ने उनसे छत्तीसगढ़ मॉडल पर उत्पाद नीति और घोटाले से ...और पढ़ें

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    झारखंड में शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही एसीबी ने पूर्व आयुक्त उत्पाद आइएएस अमीत कुमार से पूछताछ की।

    राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड में शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही एसीबी ने शुक्रवार को पूर्व आयुक्त उत्पाद आइएएस अमीत कुमार से पूछताछ की। उन्हें एसीबी ने सोमवार को भी पूछताछ के लिए बुलाया है।

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    आइएएस अमीत कुमार पूर्व आयुक्त उत्पाद के साथ-साथ झारखंड स्टेट बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के प्रबंध निदेशक भी थे। वे वर्तमान में वाणिज्यकर आयुक्त के पद पर पदस्थापित हैं।

    एसीबी ने शराब घोटाला मामले में उनसे छत्तीसगढ़ माडल पर उत्पाद नीति लांच होने से लेकर शराब घोटाले के प्रकरण पर भी कई सवाल पूछा। पूर्व आयुक्त उत्पाद अमीत कुमार ने एसीबी को बताया कि एसीबी जिस कांड संख्या 09/2025 की जांच कर रही है, वह उनके कार्यकाल के एक साल बाद का है।

    वे उत्पाद आयुक्त के पद पर चार अगस्त 2021 से लेकर 10 जुलाई 2022 के तक पदस्थापित रहे। पूर्व से चली आ रही उत्पाद नीति मई 2022 में बदली थी। उनके स्थानांतरण के बाद के इस मामले में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

    वे अपने कार्यकाल की ही जानकारी दे सकते हैं। पूर्व आयुक्त उत्पाद अमीत कुमार एसीबी कार्यालय में शुक्रवार की सुबह निर्धारित समय 11 बजे पहुंच गए थे। वे शाम पांच बजे तक एसीबी कार्यालय में रहे और वहां के जांच पदाधिकारी के प्रश्नों का भी जवाब दिया।

    तत्कालीन विभागीय सचिव का कितना था दबाव, इस पर भी एसीबी ने पूछा सवाल

    पूर्व आयुक्त उत्पाद अमीत कुमार से एसीबी ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे से जुड़े सवाल अधिक पूछे। एसीबी ने पूछा कि उनके कार्यकाल के दौरान ही झारखंड में छत्तीसगढ़ माडल पर शराब की बिक्री शुरू हुई थी।

    तब छत्तीसगढ़ की प्लेसमेंट एजेंसियों, शराब आपूर्ति कंपनियों, होलोग्राम आपूर्ति कंपनी को ही झारखंड में ठेका मिला। इसका मुख्य कारण क्या था। इसमें तत्कालीन विभागीय सचिव विनय कुमार चौबे की क्या भूमिका रही।

    विभाग में कार्य करने के दौरान विभागीय सचिव का अपने कनीय पदाधिकारियों पर कितना दबाव रहता था। पूर्व आयुक्त उत्पाद ने अपने जवाब से एसीबी के अधिकारी को संतुष्ट करने का प्रयास किया है।

    अधिकारी प्रस्ताव तैयार करते हैं, स्वीकृति सरकार देती है

    छत्तीसगढ़ माडल पर उत्पाद नीति लागू होने के बिंदु पर भी एसीबी के अधिकारी ने तत्कालीन आयुक्त उत्पाद अमीत कुमार से पूछताछ की। इस पर जांच अधिकारी को बताया गया कि छत्तीसगढ़ माडल पर शराब की बिक्री का प्रस्ताव भले ही सचिव-आयुक्त ने तैयार किया, उसकी स्वीकृति कैबिनेट व सरकार से मिली, जिसके बाद यह नीति लागू हुई।

    सरकार के कुछ संबंधित विभागों की स्वीकृति के बाद ही उक्त नीति लागूृ की जा सकी थी। उक्त नीति में छत्तीसगढ़ के कारोबारियों की एंट्री पर भी तत्कालीन अधिकारी से सवाल-जवाब हुआ है।

    रिमांड पर पूछताछ के बाद वापस जेल भेजा गया कारोबारी राजेंद्र जायसवाल

    शराब घोटाला मामले में रिमांड पर लिया गया छत्तीसगढ़ का शराब कारोबारी राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल शुक्रवार को रिमांड पूरी होने के बाद पुन: न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिया गया है।

    वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का रहने वाला है। राजेंद्र जायसवाल देसी शराब आपूर्ति कंपनी वेलकम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक है। उसपर पूर्व की उत्पाद नीति के दौरान देसी शराब की आपूर्ति का ठेका लेने में गड़बड़ी का आरोप है। उसके माध्यम से आपूर्ति की गई शराब में गंदगी व शीशा मिलने की शिकायत मिल चुकी है।