झारखंड में भारी बारिश से लाह उत्पादन में हो सकती है कमी, ज्यादा मूल्य चाह रहे किसान
झारखंड, जो देश का 70% लाह उत्पादित करता है, भारी बारिश के कारण उत्पादन में कमी का सामना कर रहा है। किसानों को नुकसान की आशंका है क्योंकि बारिश से लाह के कीड़े पेड़ों पर नहीं टिक पा रहे। वे सरकार से समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

लाह की खेती। (फोटो जागरण)
राज्य ब्यूरो, रांची। देश के कुल लाह उत्पादन का 70 प्रतिशत लाह झारखंड से ही निकलता है। लेकिन इसबार हुई भारी बारिश ने उत्पादन में कमी की आशंका उत्पन्न कर दी है।
जून जुलाई के महीने में लाह के बीज पेड़ों पर डाले जाते है। आरंभिक दिनों की नमी के बाद इन्हें सूखे मौसम की आवश्यकता होती है। लेकिन इसबार जून से प्रारंभ हुई बारिश अक्टूबर तक जारी है।
नवंबर के महीने में तैयार लाह का संग्रह किया जाता है। खूंटी के लाह उत्पादक जीतराम बेदिया को इसबार कम उत्पादन की आशंका है।उनका कहना है कि तेज बारिश से लाह के कीड़े डाल पर टिकते नहीं हैं।
इस वजह से कच्चा लाह या राल तैयार नहीं हो पाया है। उत्पादन कम होने पर भी लाह की कीमत तय है। ऐसे में उन्हें नुकसान होगा। खूंटी के ही महेश महली इसके लिए सरकार से लाह का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग करते हैं।
अगले महीने फिर लगेगी नई फसल
लाह की खेती साल में दो बार की जाती है। नवंबर में लाह उतारने के साथ ही दोबारा से इसके बीज लगाए जाएंगे। इसे कुसुमी लाह कहते हैं। इसकी गुणवत्ता भी अच्छी मानी जाती है।
लेकिन नवंबर में लगी फसल को अगर बारिश से नहीं बचाया गया तो नुकसान बढ़ जाएगा। हालांकि, लाह की एक नई प्रजाति कैलेंड्रा को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसे बारिश से बेअसर रखा जा सकता है।
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