Jharkhand सुगिया खदान सरेंडर कर सकता है जेएसएमडीसी, दूसरी बार टेंडर में भी खनन के लिए नहीं आया कोई दावेदार
झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) सुगिया खदान को सरेंडर कर सकता है। दूसरी बार टेंडर जारी करने के बाद भी खनन के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया ...और पढ़ें

सुगिया खदान से खनन करने में नाकाम झारखंड राज्य खनन विकास निगम अब इसे खुद को अलग कर सकता है।
राज्य ब्यूरो, रांची। सुगिया खदान से खनन करने में नाकाम रहे झारखंड राज्य खनन विकास निगम अब इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर सकता है। कारण इसका बड़ा क्षेत्रफल और नियमों की पेंचीदगी है।
दरअसल, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय किसी भी खनन परियोजना के लिए इस्तेमाल किए गए जंगल भूमि के बराबर के क्षेत्र में पौध रोपण करने का निर्देश देता है। इसके लिए कंपनियों को जमीन उपलब्ध करानी पड़ती है।
वास्तविकता में झारखंड में इतने बड़े पैमाने पर गैर खनन योग्य परती जमीन नहीं है, जिसपर पौधरोपण किया जा सके। यही कारण है कि कंपनियों को जमीन मिलती नहीं और जमीन के बगैर एनओसी दिया नहीं जा सकता है।
बहरहाल, सुगिया में खनन शुरू करने के पूर्व राज्य सरकार एमओडी चयन के लिए दो बार टेंडर निकाल चुकी है और दोनों बार कोई दावेदार नहीं आया है। तीसरी बार टेंडर निकालने के लिए बोर्ड की अनुमति आवश्यक होगी।
बोर्ड की अनुमति मिलने के बाद भी अगर खनन कार्यों में देरी हुई तो और भी जुर्माना देना होगा। अधिकारी यह मानने लगे हैं कि पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करना कारपोरेशन के वश में नहीं है और यही कारण है कि जेएसएमडीसी इस परियोजना को सरेंडर कर सकता है।
सिकनी माइंस से उत्पादन को मशीनें पहुंचीं
झारखंड राज्य खनन विकास कारपोरेशन के पास एक दूसरा प्रोजेक्ट सिकनी काेलियरी भी है। सरकार की तैयारियां देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस माह के अंत तक इस परियोजना से कोयले का उत्पादन होना शुरू हो जाएगा।
इसके माध्यम से विभाग को 250 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होने की भी उम्मीद है। सिकनी माइंस में खनन के लिए सभी आवश्यक मशीनें पहुंच चुकी हैं और शीघ्र ही खनन कार्य एवं कोयले का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।