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    झारखंड की 20 जेलों की सुरक्षा ताक पर! जेलर बनकर काम कर रहे क्लर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 07:00 AM (IST)

    झारखंड की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे है। ज्यादातर जेलों में निम्नवर्गीय लिपिक जेलर का काम कर रहे हैं जबकि जेल मैनुअल के अनुसार यह सही नहीं है। कुछ जेलों में कंप्यूटर ऑपरेटर और सहायक कारापाल भी जेलर बने हुए हैं। झारखंड जेल मेंस एसोसिएशन ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की है और नियमावली में संशोधन की मांग की है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    दिलीप कुमार, रांची। झारखंड की जेलें राम भरोसे चल रही हैं। यहां की सुरक्षा, रख-रखाव व व्यवस्था ऐसे हाथों में है, जिसकी शक्ति जेल मैनुअल उसे नहीं देता है। राज्य में कुल 31 जेलें हैं, जिनमें केंद्रीय कारा, मंडल कारा, उप कारा व ओपेन जेल शामिल हैं।

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    इन जेलों में 20 जेल ऐसे हैं, जहां निम्नवर्गीय लिपिक जेलर की कमान संभाल रहे हैं। तीन जेल ऐसे हैं, जहां कंप्यूटर ऑपरेटर जेलर बने बैठे हैं। पांच जेलों में सहायक कारापाल के पास जेलर का प्रभार है। केवल तीन ही जेलर पदधारी हैं, जो जेलर हैं। हालांकि, ये तीनों भी निम्नवर्गीय लिपिक से ही प्रोन्नत होकर जेलर बने हैं।

    मॉडल जेल मैनुअल 2016 के तर्ज पर झारखंड जेल मैनुअल 2025 बनाई गई है। झारखंड जेल मैनुअल 2025 के नियम संख्या 105 में यह साफ-साफ वर्णित है कि सहायक कारापाल में प्रोन्नति के लिए वर्दीधारी यानी मुख्य उच्च कक्षपाल, उच्च कक्षपाल ही योग्य हैं।

    इस नियमावली के नियम संख्या 224 एवं 225 में किसी भी लिपिक को किसी भी परिस्थिति में कारा में केवल लिपिकीय कार्य में लिया जाएगा। उन्हें नकद या सरकारी संपत्ति का प्रभार नहीं दिया जाएगा। लिपिक बिना कारा अधीक्षक के अनुमति के कारा के अंदर प्रवेश भी नहीं कर सकते हैं और न ही किसी बंदी से बात कर सकते हैं। झारखंड में तो पूरी जेले हीं ऐसे लिपिकों के अधीन चल रही हैं।

    अधिकतर जेलों में मृत कक्षपाल के पुत्र-पुत्री अनुकंपा पर निम्नवर्गीय लिपिक में बहाल होकर अपने पिता के सहकर्मी कक्षपाल संवर्ग के नियंत्री पदाधिकारी बने बैठे हैं।

    इन जेलों में निम्नवर्गीय लिपिक बने हुए हैं जेलर

    केंद्रीय कारा दुमका (अर्चना कुमारी, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा सिमडेगा (मोहम्मद युसूफ आजाद, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा लातेहार (प्रदीप मुंडा, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा गढ़वा (मोहम्मद मेशाद आलम, दैनिककर्मी से स्थाई), मंडल कारा कोडरमा (अभिषेक कुमार सिंह, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा चतरा (सतीश दास, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा धनबाद (मनोज कुमार गुप्ता, अनुकंपा पर बहाल) जेलर बने हुए हैं।

    वहीं, मंडल कारा लोहरदगा (सुबोध कुमार, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा जामताड़ा (ललन भारती, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा पाकुड़ (दिलीप कुमार, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा गोड्डा (प्रियरंजन कुमार, अनुकंपा पर बहाल), मंडल कारा साकची (विकास बैठा, अनुकंपा पर बहाल), उपकारा घाटशिला (सत्येंद्र कुमार, अनुकंपा पर बहाल), उपकारा खूंटी (मोहम्मद शहजादा आलम, अनुकंपा पर बहाल), उपकारा रामगढ़ (शंकर कुमार, अनुकंपा पर बहाल), उपकारा बरही (विनोद कुमार सिंह, दैनिककर्मी से स्थाई), उपकारा राजमहल (प्रिंस कुमार, अनुकंपा पर बहाल), उपकारा मधुपुर (शिशिर पांडेय, दैनिककर्मी से स्थाई), ओपेन जेल हजारीबाग (मोहम्मद सद्दाम हुसैन, अनुकंपा पर बहाल) जेलर बने हैं।

    इन जेलों में कंप्यूटर ऑपरेटर संभाल रहे जेलर का पद

    केंद्रीय कारा डालटनगंज पलामू (आशीष कुमार सिन्हा), मंडल कारा चास (निखील पांडेय) व मंडल कारा तेनुघाट (नीरज कुमार, निम्नवर्गीय लिपिक)।

    यहां सहायक जेलर को मिला है जेलर का प्रभार

    बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार (देवनाथ राम, अनुकंपा पर बहाल), केंद्रीय कारा घाघीडीह जमशेदपुर (बबलू गोप, सीधी बहाली), लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग (दिनेश प्रसाद वर्मा, सीधी भर्ती), मंडल कारा गुमला (लव कुमार, सीधी भर्ती) व मंडल कारा सरायकेला (सोनू कुमार, निम्नवर्गीय लिपिक के पद पर सीधी भर्ती)।

    केवल यहां हैं जेलर

    केंद्रीय कारा देवघर (प्रमोद कुमार, अनुकंपा पर निम्नवर्गीय लिपिक में आए थे, प्रोन्नत होकर जेलर बने), केंद्रीय कारा गिरिडीह (धर्मशीला कुमारी, अनुकंपा पर निम्नवर्गीय लिपिक में बहाल हुईं थी, प्रोन्नत होकर जेलर बनीं) व मंडल कारा चाईबासा (अजय कुमार श्रीवास्तव, अनुकंपा पर निम्नवर्गीय लिपिक बने थे, प्रोन्नति से जेलर बने)।

    एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव सहित सभी वरीय पदाधिकारियों से की शिकायत

    झारखंड जेल मेंस एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, कारा महानिरीक्षक, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव, कार्मिक सचिव आदि से लिखित शिकायत कर पूरे मामले की जानकारी दी है।

    एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री प्रदीप तिर्की ने मुख्यमंत्री को दिए आवेदन में बताया है कि झारखंड जेल मैनुअल में मुख्य उच्च कक्षपाल, उच्च कक्षपाल वर्दीधारी होते हैं और वे ही सहायक कारापाल में प्रोन्नति के योग्य होते हैं।

    संयुक्त वरीयता सूची के बावजूद एक भी मुख्य उच्च कक्षपाल को सहायक कारापाल के पद पर प्रोन्नति नहीं मिली है। इसके बावजूद निम्नवर्गीय लिपिक पदोन्नत होकर या प्रभार में रहकर जेलर की ड्यूटी कर रहे हैं। कक्षपालों के पास स्नातक, तकनीकी या उच्चतर डिग्री भी है, लेकिन गलत नीतियों के चलते उन्हें निम्नवर्गीय लिपिक के अधीन काम करना पड़ रहा है।

    पड़ोसी राज्य बिहार में भी नहीं है ऐसा नियम

    झारखंड अपने पड़ोसी राज्य बिहार के जेल मैनुअल का अनुसरण करती आ रही है। वहां भी इस तरह का नियम नहीं है। बिहार सहायक कारापाल संवर्ग नियमावली 2012 में सहायक जेलर के 50 प्रतिशत सीट को प्रोन्नति से भरने का प्रविधान है।

    प्रोन्नति से भरे जाने वाले ये पद मुख्य उच्च कक्षपाल, पूर्व सैनिक जैसे वर्दीधारियों से भरे जाते हैं। दिल्ली में सहायक कारापाल को सहायक अधीक्षक भी कहा जाता है।

    झारखंड जेल मेंस एसोसिएशन ने भी मुख्यमंत्री व संबंधित अधिकारियों से मांग की है कि झारखंड सहायक कारापाल संवर्ग नियमावली 2012 को मॉडल जेल मैनुअल 2016 का अनुसरण करते हुए संशोधित कर 50 प्रतिशत सीधी नियुक्ति एवं 50 प्रतिशत उच्च कक्षपाल या तीन वर्ष पूर्ण कर चुके उच्च कक्षपाल के विभागीय परीक्षा से भरने का प्रविधान करें।