पलाश के फूल से सुगंधित हो रहा झारखंड, दर्जनों बीमारियों में है कारगर; जानें इसके अनजाने फायदे
Jharkhand Special News पलाश के फूल से मूत्र संबंधी रोग रतौंधी गर्भधारण के समय उपयोगी बवासीर रक्तस्त्राव में उपयोगी होता है। पलाश के फूल को ब्रह्मवृक्ष भी कहते हैं। पलाश के पत्ते छाल आदि भी काफी गुणकारी हैं।

जमशेदपुर, [मनोज सिंह]। Jharkhand Special News इन दिनों झारखंड पलाश के फूलों से सुगंधित हो रहा है। यहां के जंगलों में होली से पहले पलाश के पेड़ों में लाल-पीले फूल खिले हैं। ग्रामीण पलाश के फूलों का उपयोग जड़ी-बूटी से लेकर विभिन्न प्रकार की बीमारियों में करते हैं। इस फूल को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पलश, गुजराती में केसुडा कहते हैं। पलाश के फूल से मूत्र संबंधी रोग, रतौंधी, गर्भधारण के समय उपयोगी, बवासीर, रक्तस्त्राव में उपयोगी होता है। पलाश के गोंद का उपयोग करने से दस्त व हड्डी मजबूत होता है। इस संबंध में आयुर्वेदाचार्य डाॅ. मनीष डुडिया कहते हैं कि पलाश के फूल को ब्रह्मवृक्ष भी कहते हैं। पलाश के फूल को सुखाकर कोल्हान क्षेत्र में गुलाल-रंग बनाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। अब तो पलाश के फूल को सुखाकर उसका उपयोग होली के दौरान किया जाता है।
पलाश पेड़ के विभिन्न भागों का बीमारियों में उपयोग
पलाश के फूल : मूत्र संबंधी रोग में पलाश फूल का काढ़ा बनाकर मिश्री के साथ मिलाकर पीने से पेशाब संबंधी बीमारी जड़ से दूर हो जाता है।
पलाश के फूल : आंख की बीमारी यानि किसी को रतौंधी हो गया हो तो फूलों का रस आंख में डालने से लाभ होता है। आंख आने पर फूल के रस को शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से आंख की बीमारी दूर हो जाती है।
पलाश का फूल : पलाश का फूल को पीसकर दूध में मिलाकर पिलाने से गर्भवती महिलाओं के बच्चे शक्तिशाली व बुद्धिवर्धक होते हैं।
पलाश के बीज : तीन से छह ग्राम चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिनों तक लेने के बाद चौथे दिन सुबह 10 से 15 ग्राम अरंडी के तेल में गर्म कर दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि बीमारी जड़ से दूर हो जाते हैं।
पलाश के पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय की घी व मिश्री के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बुद्धि बढ़ती है।
पलाश के पत्ते : पलाश के पत्ते की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ सेवन करने से बवासीर जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
पलाश के छाल : शरीर में नाक, कान, मल-मूत्र या अन्य स्थानों से रक्तस्त्राव हो तो छाल का काढ़ा 50 मिली बनाकर ठंडा होने पर मिश्री में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
पलाश का गोंद : पलाश का गोंदा एक से तीन ग्राम मिश्री में मिलाकर दूध या आंवला के रस के साथ लेने से हड्डी मजबूत होती है। इसके गोंद को गर्म पानी के साथ घोल बनाकर पीने से दस्त में रामबाण साबित होता है।
पलाश का हर भाग है उपयोगी : डाॅ. मनीष
शहर के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डाॅ. मनीष डुडिया कहते हैं कि पलाश का पत्ता, फूल, बीज विभिन्न बीमारियों में कारगर साबित होता है। इसके फूल, फल, बीज, छिलका से लेकर पत्ता तक अनेक बीमारियों को दूर करने में सहायक है। डाॅ. डूडिया कहते हैं कि आयुर्वेद में पलाश के पेड़ का बड़ा ही महत्व है।
'पूर्वी सिंहभूम जिले के जंगलों में पलाश के अलावा अन्य फूलों के पौधे की भरमार है। पहले होली के समय पलाश के फूलों को जंगल से जमा करवाकर रंग व गुलाल बनाने में उपयोग किया जाता था। चूंकि इस वर्ष काेरोना जैसी महामारी से आम जनता त्रस्त है। इसके लिए सांकेतिक होली ही मनाई जाएगी। इसलिए फूल को जमा नहीं करवा पाए। वैसे पलाश के फूलों को जमा करवा कर रंग व गुलाल बनाने की मेरी मंशा है।' -ममता प्रियदर्शी, डीएफओ, जमशेदपुर।
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