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    IAS Pooja Singhal: नौकरशाही से लेकर राजनीतिज्ञों तक में खलबली, कितनों को झुलसाएगी इस जांच की आंच

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Fri, 13 May 2022 12:46 PM (IST)

    जल्द ही झामुमो परिवार की पूरी असलियत जनता के सामने आ जाएगी। राज्य में खनिज संपदा की लूटपाट मची हुई है। गठबंधन सरकार फेल हो चुकी है। जांच में कुछ की नौकरी तो कइयों का राजनीतिक जीवन दांव पर लगा है।

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    अगले एक सप्ताह राज्य की राजनीति के लिए भारी साबित हो सकते हैं। ईडी की गिरफ्त में पूजा सिंघल। जागरण

    रांची, प्रदीप शुक्ला। मनरेगा घोटाले में आइएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद राज्य की नौकरशाही से लेकर राजनीतिज्ञों तक में खलबली मची हुई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की इस कार्रवाई के बाद यह चर्चा आम है कि इस जांच की आंच में अभी कई और बड़े व प्रभावशाली लोग झुलसेंगे। ईडी पूजा सिंघल, उनके पति अभिषेक झा और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन सिंह से छापे में बरामद हुए 19 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब भी पूछ रही है। यह भारी-भरकम रकम राज्य की सत्ता तक को अस्थिर कर सकती है।

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    ईडी से छन-छन कर आ रही सूचनाओं से यह बात पुख्ता होती जा रही है कि जब्त धनराशि अवैध खनन के एवज में वसूली गई थी जिसे कुछ लोगों के बीच में बांटा जाना था। इस मसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे पर हमलावर हैं और खुद को पाक-साफ बता पूरे भ्रष्टाचार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं, लेकिन इसकी असलियत भी जल्द ही सबके सामने आ जाएगी। एक बात तो सच है कि सरकार कोई भी रही हो, पूजा सिंघल हमेशा महत्वपूर्ण पदों पर ही रही हैं।

    ईडी ने पूछताछ के लिए पूजा सिंघल को पांच दिन की रिमांड पर लिया है। उनका चार्टर्ड अकाउंटेंट पहले से ही ईडी की गिरफ्त में है। आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही उनके पति अभिषेक झा की भी गिरफ्तारी हो सकती है। पूजा सिंघल पर कई जिलों में उपायुक्त रहते हुए कदाचार के आरोप हैं। हालांकि कुछ जांचों में उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी, लेकिन अब पूर्व में हुई इन जांचों पर भी सवाल उठ रहे हैं। खूंटी में उपायुक्त रहते वक्त उन पर मनरेगा योजनाओं में 18.06 करोड़ का घपले का आरोप है। इसी तरह चतरा में उपायुक्त रहते हुए दो एनजीओ को छह करोड़ का अग्रिम भुगतान कर दिया। पलामू जिले में 83 एकड़ जंगल भूमि एक निजी कंपनी को खनन के लिए ट्रांसफर कर दी। इन आरोपों के अलावा ईडी के छापे में पूजा सिंघल और उनके स्वजनों तथा परिचितों के ठिकानों से करीब डेढ़ सौ करोड़ की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं।

    जांच पूरी होने के बाद ही यह पता चलेगा कि यह घोटाला कितने का है, लेकिन ईडी के सूत्रों का कहना है कि जो दस्तावेज मिले हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यह कई सौ करोड़ रुपये का हो सकता है। रांची स्थित उनके पल्स अस्पताल के जरिए मनी लांडिंग की बात सामने आ रही है। हर कोई हैरत में है। इतना सब कुछ हो रहा था तो राज्य की एंजेंसियां क्या सो रही थीं? इस सरकार में तो उनके पास खान और उद्योग विभाग का जिम्मा था। इन विभागों के मंत्री खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं। वह खुद खान का पट्टा लेने में फंसे हुए हैं। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की कंपनी के नाम रांची के एक औद्योगिक क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित चार प्लाट आवंटित किए गए। इनका कुल रकबा 11 एकड़ से ज्यादा था। हालांकि इन्हें बाद में वापस कर दिया गया है।

    खान का पट्टा लेने के मामले में भारत निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन से जवाब मांगा है। उनके भाई विधायक बसंत सोरेन भी एक खनन कंपनी में साझीदार होने के चलते फंसे हुए हैं। यदि चुनाव आयोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होता है तो दोनों की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की सिफारिश कर सकता है। ऐसी स्थिति में राज्य में भारी उथल-पथल संभावित है, लेकिन अब यदि इस घोटाले की कड़ियों को एक-एक कर जोड़ा जाए तो राज्य की राजनीति में बड़े हलचल के संकेत मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी, उनके भाई सभी पर गंभीर आरोप हैं। ईडी के छापे में चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन सिंह के पास से मिले 19 करोड़ रुपये के तार भी कुछ आला राजनेताओं से जुड़ रहे हैं।

    कहा जा रहा है यह धनराशि कई लोगों में बंटनी थी। इसका पूरा पर्दाफाश होना अभी बाकी है। गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे तो सीधे-सीधे कह रहे हैं कि इस धनराशि के तार मुख्यमंत्री से जुड़े हुए हैं। जल्द ही जांच में सब दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। छापे के पहले दिन ईडी की कार्रवाई को गीदड़ भभकी बताने वाले मुख्यमंत्री भी अब सख्त हुए हैं। वह पूछ रहे हैं, पूर्व में पूजा सिंघल को क्लीन चिट कैसे मिल गई? भ्रष्टाचार में लिप्त पूजा सिंघल को संरक्षण देने वाले लोगों को भी बख्शा नहीं जाएगा। अब ये समझ में नहीं आ रहा है कि अगर मुख्यमंत्री वाकई गंभीर हैं तो उनकी पार्टी झामुमो ईडी की कार्रवाई के खिलाफ भाजपा कार्यालयों पर प्रदर्शन क्यों कर रही है? वह बार-बार यह आरोप भी लगा रही है कि इस जांच के बहाने केंद्र में बैठी भाजपा हेमंत सरकार को अस्थिर करना चाहती है। सांसद निशिकांत दुबे और पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी चुटकी ले रहे हैं, चोर की दाढ़ी में तिनका।

    [स्थानीय संपादक, झारखंड]