Jharkhand High Court: पैनम कोल माइंस में अवैध खनन पर सरकार की कार्रवाई से कोर्ट संतुष्ट नहीं, पूछे ये सवाल
झारखंड उच्च न्यायालय ने पैनम कोल माइंस में अवैध खनन के मामले में सरकार की कार्रवाई पर असंतोष जताया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अवैध खनन रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए और कितने लोग गिरफ्तार हुए। अदालत ने सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के शपथपत्र पर नाराजगी जताई।
राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में पाकुड़ जिले में पैनम कोल कंपनी के खिलाफ अवैध खनन पर कार्रवाई की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार के शपथपत्र पर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पाई कि दुमका के प्रमंडलीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
अदालत ने सरकार को फिर से विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि जांच रिपोर्ट के बाद सरकार ने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं। पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से शपथ पत्र में केवल इतना कहा गया था कि आयुक्त की रिपोर्ट पर तत्कालीन पाकुड़ डीसी को शो-काज किया गया था।
इस पर अदालत ने पूछा कि शो-काज नोटिस के बाद क्या कार्रवाई की गई, लेकिन सरकार के अधिवक्ता इसका उत्तर नहीं दे सकें। अदालत ने यह भी कहा कि कंपनी द्वारा सीएसआर के तहत किए गए खर्च का विवरण भी शपथ पत्र में सही तरीके से नहीं दिया गया है।
सरकार ने पूर्व में बताया था कि पैनम कोल कंपनी के खिलाफ 118 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है। प्रार्थी अधिवक्ता राम सुभग सिंह की ओर से कहा गया कि सरकार अलग-अलग दावे कर रही है।
लेकिन अभी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उनकी ओर से कहा गया कि सरकार ने अभी तक कोर्ट के इस आदेश का भी जवाब नहीं दिया है कि क्यों नहीं इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी जाए।
इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि पहले सरकार का जवाब आने दिया जाए, उसके बाद इस मामले पर विचार किया जाएगा। प्रार्थी की ओर से यह भी कहा गया कि यह मात्र रायल्टी का मामला नहीं, बल्कि 999 करोड़ रुपये के अवैध खनन का मुद्दा है।
उनका कहना था कि राज्य सरकार स्वयं स्वीकार कर चुकी है कि कंपनी ने लीज सीमा से अधिक कोयले का उत्खनन किया है, फिर भी जांच रिपोर्ट के आधार पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
राम सुभग सिंह की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2015 में पाकुड़ और दुमका में खनन लीज मिलने के बाद पैनम कोल कंपनी ने बड़े पैमाने पर अतिरिक्त कोयले का उत्खनन किया, जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

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