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    पुलिस इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन में आरक्षण के आदेश पर लगी रोक, हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

    Updated: Sat, 18 Jan 2025 09:27 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति में आरक्षण पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है। प्रार्थी का कहना है कि आरक्षण के कारण वरीयता सूची में काफी नीचे रहने वाले एससी-एसटी सब इंस्पेक्टर को प्रोन्नति दी जा रही है। यह उनके समानता के अधिकारों का हनन है। अदालत ने सुनवाई के बाद प्रोन्नति पर रोक लगा दी है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ ने सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति में आरक्षण देने पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है।

    अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। सरकार की ओर से प्रोन्नति में एससी-एसटी को आरक्षण दिया जा रहा है। इसके खिलाफ विकास कुमार की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

    20 सितंबर को जारी हुआ था आदेश

    प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने हाई कोर्ट को बताया कि 20 सितंबर 2024 को विभाग की ओर से सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर रैंक में प्रोन्नति दिए जाने का आदेश जारी किया गया था।

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    इसके लिए वरीयता सूची बनाई गई। प्रार्थी वरीय सूची में सबसे ऊपर है, लेकिन आरक्षण देने की वजह से वरीयता में काफी नीचे रहने वाले एससी-एसटी सब इंस्पेक्टर को प्रोन्नति दी जा रही है।

    ऐसा करना प्रार्थी के समानता के अधिकारों का हनन है। उनकी ओर से झारखंड हाई कोर्ट के रघुवंश प्रसाद बनाम झारखंड सरकार मामले में आदेश का हवाला दिया गया।

    अदालत ने सुनाई के बाद लगाई

    इसमें कोर्ट ने कहा है कि राज्य में किसी भी विभाग की प्रोन्नति में आरक्षण तब तक नहीं दिया जा सकता है, जब तक कि सरकार की ओर से इसको लेकर कोई नया कानून नहीं बनाया जाता है।

    उनकी ओर से यह भी कहा गया कि संविधान के अनुसार, जब सब इंस्पेक्टर कैडर में एससी-एसटी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, तो आरक्षण देना जरूरी नहीं है।

    इसलिए प्रोन्नति में आरक्षण देने के आदेश को निरस्त किया जाए। सुनवाई के बाद अदालत ने प्रोन्नति पर रोक लगा दी है।

    पत्नी की हत्या में पति दोषी करार, 25 को सजा पर सुनवाई

    • रांची के अपर न्यायायुक्त अमित शेखर की अदालत ने पत्नी की हत्या के आरोपित मोहन महतो को दोषी करार दिया है। उसकी सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 25 जनवरी की तिथि निर्धारित की है।
    • घटना को लेकर महिला सोनी के भाई छोटू कुमार महतो ने अप्रैल 2018 में ओरमांझी थाना में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप है कि अभियुक्त के साथ सोनी की शादी 2009 में हुई थी।
    • शादी के चार साल बाद ससुराल की ओर से दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। घटना के दिन उसके पति ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।
    • मामले के अन्य आरोपित भूषण महतो, बसंती देवी, राजेंद्र महतो एवं रेखा देवी को अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

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