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    Jharkhand: पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम को हाई कोर्ट से मिला झटका, JMM की सदस्यता रद्द करने याचिका पर हुई सुनवाई

    झारखंड हाई कोर्ट में झामुमो से निष्कासित पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम की सदस्यता समाप्त किए जाने के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई की गई। अदालत ने उक्त आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद की जाएगी। इस मामले में कोर्ट ने विधानसभा से जवाब और स्पीकर कोर्ट में सुनवाई से जुड़े सभी दस्तावेज को पेश करने का निर्देश दिया है।

    By Manoj Singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sat, 03 Aug 2024 12:13 PM (IST)
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    पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम की सदस्यता समाप्त किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई

    राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में झामुमो से निष्कासित पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम की सदस्यता समाप्त किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

    सुनवाई के दौरान अदालत ने उक्त आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। अदालत ने इस मामले में विधानसभा से जवाब और स्पीकर कोर्ट में सुनवाई से जुड़े सभी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है।

    चार सप्ताह बाद होगी मामले की अगली सुनवाई

    मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने 25 जुलाई को विधानसभा के स्पीकर न्यायाधिकरण द्वारा उनकी सदस्यता रद करने के फैसले को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

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    याचिका में कहा है कि स्पीकर ने विशेष दबाव में आकर यह फैसला लिया है। यह बोरियो की जनता के साथ विश्वास घात करने जैसा है।

    याचिका में क्या कहा गया?

    याचिका में कहा गया है कि मानसून सत्र की घोषणा पहले हो चुकी थी और उसे सत्र में लोबिन अपने क्षेत्र से जुड़े दो सवालों को पटल पर रखने वाले थे, जिसकी अनुमति भी स्पीकर से प्राप्त हो चुकी थी। उसका जवाब भी आना था, लेकिन अचानक स्पीकर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद कर करने का फैसला सुना दिया।

    स्पीकर कोर्ट का फैसला पूरी तरह असंवैधानिक है, क्योंकि एक ही पार्टी के दो सदस्यों के एक ही कृत्य को लेकर अलग-अलग रवैया अपनाया जा रहा है।

    चमरा लिंडा का दिया उदाहरण

    उन्होंने विधायक चमरा लिंडा का उदाहरण देते हुए कहा कि चमरा लिंडा ने भी पार्टी के आदेश की अवहेलना करते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    पार्टी से निष्कासित करने के लिए केंद्रीय कमेटी की सहमति का होना जरूरी है। पार्टी संविधान को दरकिनार कर उन्हें पार्टी से निकाला गया, जो न्याय संगत नहीं है।

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