रांची हिंसा में 10 हजार लोग कैसे जमा हुए? क्या थी खुफिया रिपोर्ट; हाई कोर्ट ने हेमंत सरकार से मांगा जवाब
Ranchi Violence झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने रांची हिंसा की एनआइए जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। रांची हिंसा पर सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी गई है। खुफिया रिपोर्ट एवं अन्य तथ्यों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी।

रांची, राज्य ब्यूरो। Ranchi Violence झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने रांची में हुई हिंसा की एनआइए जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने सरकार से पूरी घटनाक्रम की जानकारी देने को कहा है। सरकार से पूछा है कि क्या इस मामले में कोई खुफिया रिपोर्ट सरकार को मिली थी। अगर खुफिया रिपोर्ट मिली थी तो सरकार ने रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की थी। मामले में अगली सुनवाई 24 जून को निर्धारित की गई है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा है कि घटना के दिन एक साथ दस हजार लोग कैसे जमा हो गए। हिंसा में कितने लोगों की जान गई हैं और कितने घायल हुए हैं। घटना के दिन गोलीबारी की जानकारी मांगते हुए सरकार से पूछा है कि घटना के दिन आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया था या नहीं। प्रदर्शन को रोकने के लिए पहले आंसू गैस व वाटर कैनन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद लाठी चार्ज होती है। अदालत ने हिंसा के बाद हुई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी है। इस संबंध में पंकज यादव ने जनहित याचिका दाखिल कर रांची हिंसा की एनआइए से जांच कराने का आग्रह किया है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि रांची में दस जून को हुई हिंसा पूर्व से प्रायोजित थी। इस घटना में पीएफआइ और दूसरे संगठनों के शामिल होने की बातें सामने आ रही है। इस कारण इस मामले की जांच एनआइए से कराई जानी चाहिए। अदालत को बताया गया कि इस मामले में गिरफ्तार नवाब चिश्ती के तार राज्य के मंत्रियों से भी जुड़े हैं। कई मंत्रियों के साथ उसकी तस्वीर भी है। सरकार की ओर से कहा गया कि मंत्री के साथ भले ही नवाब की तस्वीर हो लेकिन मंत्री की नवाब के साथ कोई जान-पहचान नहीं है।
इस पर कोर्ट ने कहा कोई किसी के साथ तस्वीर कैसे खिंचवा सकता है। अगर ऐसा है तो गंभीर मामला है। प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि पुलिस ने उपद्रवियों के पोस्टर लगाए थे, लेकिन सरकार के निर्देश पर उसे तत्काल हटा लिया गया। इस पर अदालत ने कहा कि पोस्टर को मामले में अदालत अभी कुछ नहीं कहेगी। इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए। बता दें कि प्रार्थी पंकज कुमार यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका में मामले की जांच एनआइए से कराने की मांग की गई है।
ताकि इसका पता लगाया जा सके कि किस संगठन ने फंडिंग कर रांची हिंसा जैसी उपद्रवी घटना को अंजाम दिया है। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि रांची में गलत तरीके से बांग्लादेशियों और रोहिंग्या समुदाय के लोग रहते हैं। पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के साथ रांची के अराजक तत्वों का लिंक तलाशने की का आग्रह भी अदालत से किया गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।