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    रघुवर सरकार के मंत्रियों की बढ़ी आय से अधिक संपत्ति? झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

    Updated: Tue, 06 Aug 2024 01:39 PM (IST)

    सोमवार को पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल के पांच मंत्रियों की संपत्ति की जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस पीके श्रीवास्तव की अदालत में राज्य सरकार को इस मामले में शपथ पत्र दाखिल कर जवाब देने का निर्देश जारी किया गया है।

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    पूर्व मंत्रियों पर आय से अधिक मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस पीके श्रीवास्तव की अदालत में सोमवार को पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल के पांच मंत्रियों की संपत्ति की जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।

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    सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने पूछा मामले की जांच अभी कहां तक पहुंची है? अदालत ने चार सप्ताह में शपथपत्र दाखिल कर इसकी जानकारी देने को कहा है।

    इन पर लगा आय से अधिक संपत्ति का आरोप

    इसको लेकर पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दाखिल की है। वर्ष 2020 में दाखिल जनहित याचिका में राज्य सरकार के पूर्व मंत्री अमर कुमारी बाउरी, नीरा यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा, लुइस मरांडी और रणधीर सिंह पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए सभी की संपत्ति की जांच कराने का आग्रह किया गया है।

    उल्लेखनीय है कि अमर कुमार बाउरी अभी झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। प्रार्थी ने पूर्व मंत्रियों रणधीर सिंह, अमर कुमार बाउरी, नीलकंठ सिंह मुंडा, नीरा यादव व लुईस मरांडी की वर्ष 2014 के मुकाबले वर्ष 2019 में 200 से 1100 प्रतिशत संपत्ति बढ़ने का आरोप लगाया है।

    इतनी संपत्ति की दिखाई गई बढ़ोत्तरी

    आरोप है कि वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान भरे गए शपथ पत्र और वर्ष 2019 में भरे गए शपथ पत्र की जांच करने में इनकी संपत्ति में 200 से 1100 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है, जो केवल वेतन से नहीं हो सकती। प्रार्थी ने इस मामले में सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया था।

    पिछले साल राज्य सरकार ने मामले में एसीबी से जांच कराने का आदेश दे दिया है। सरकार से जांच का आदेश मिलने के बाद एसीबी ने इस मामले में पीई दर्ज कर पूर्व मंत्रियों और शिकायतकर्ता को नोटिस भी भेजा था।

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