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    St. Xavier's School Hazaribag: सेंट जेवियर से निकाले गए छात्रों के मामले में हाई कोर्ट ने स्कूल से मांगा स्पष्टीकरण

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Mon, 08 Feb 2021 08:35 PM (IST)

    Jharkhand High Court अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी। बता दें कि सेंट जेवियर स्कूल में कक्षा 2 से 7 तक के कई छात्रों को यह कहते हुए स्कूल ...और पढ़ें

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    हजारीबाग का सेंट जेवियर स्‍कूल। फाइल फोटो

    रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में हजारीबाग स्थित सेंट जेवियर स्कूल से निकाले गए छात्रों के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने एक छात्र हसन अनवर के परीक्षा परिणाम से संबंधित मामले में स्कूल से स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने स्कूल प्रबंधन से पूछा है कि जब तीन-तीन विषयों में कई छात्र फेल हुए हैं और उन्हें प्रोन्नति दी गई है तो सिर्फ एक विषय में फेल होने पर अनवर को स्कूल से निकाला क्यों गया है।

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    इस मामले में अगली सुनवाई दस फरवरी को होगी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज व सृष्टि सिन्हा ने अदालत को बताया कि हसन अनवर सिर्फ एक विषय में फेल हुआ तो स्कूल प्रबंधन ने अगली कक्षा में प्रोन्नति देने से इन्कार करते हुए उसे स्कूल से निकाल दिया। उनकी ओर से अन्य छात्रों का परीक्षा परिणाम अदालत को दिखाया गया, जिसमें कई छात्र तीन से चार विषयों में फेल हुए हैं, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उन सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नति देते हुए नामांकन कर लिया है।

    इस पर स्कूल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि इन छात्रों के खिलाफ किसी प्रकार की अनुशासनहीनता की शिकायत नहीं मिली थी, जिसे देखते हुए उन्हें प्रोन्नति दी गई है। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए इस मसले पर स्कूल प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा है। बता दें कि सेंट जेवियर स्कूल में कक्षा दो से सात तक के कई छात्रों को यह कहते हुए स्कूल से निकाल दिया गया है कि इनके खिलाफ पिछली कक्षा में कई शिकायतें मिली थी।

    इसलिए स्कूल अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए इनके अभिभावकों को निर्देश दिया है वे इन छात्रों को स्कूल से निकाल लें। इस आदेश के खिलाफ छात्रों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हालांकि एकल पीठ ने इनकी याचिका को खारिज करते हुए उन्हें झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल (जेट) भेजने का आदेश दिया था। इसके बाद छात्रों ने इसे खंडपीठ में चुनौती दी है।