झारखंड हाई कोर्ट ने दो साल B.Ed करने वाले अभ्यर्थियों को दी बड़ी राहत, असिस्टेंट प्रोफेसर एग्जाम में होंगे शामिल
झारखंड हाई कोर्ट ने 2 साल के बीएड अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। सहायक आचार्य परीक्षा में उन सभी अभ्यर्थियों को शामिल करने का निर्देश दिया गया है जिन्हें जेएसएससी ने 1 वर्षीय बीएड कोर्स की शर्त के कारण बाहर कर दिया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार अब हर जगह 2 वर्ष का बीएड कोर्स किया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में सहायक आचार्य नियुक्ति में दो वर्षीय बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को चयन से बाहर करने खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने वैसे सभी अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य की नियुक्ति में शामिल करने का निर्देश दिया है, जिन्हें दो वर्षीय बीएड कोर्स के चलते दस्तावेज सत्यापन के समय चयन से बाहर कर दिया गया।
जेएसएससी ने दस्तावेज सत्यापन के समय कई अभ्यर्थियों को यह कहते हुए चयन से बाहर कर दिया कि विज्ञापन की शर्तों के अनुसार एक वर्षीय बीएड कोर्स ही न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के लिए मान्य है। इसके खिलाफ विप्लव दत्ता सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वर्मा कमीशन की रिपोर्ट के बाद वर्ष 2014 में एनसीटीई की ओर से रेगुलेशन जारी किया गया था।
जिसमें कहा गया था कि वर्ष 2014 के बाद बीएड का कोर्स दो वर्ष का होगा। इसके बाद एनसीटीई से संबंद्ध देश की सभी संस्था, झारखंड के रांची विश्वविद्यालय सहित सभी विश्वविद्यालयों में बीएड की पढ़ाई दो साल की होती है।
उनकी ओर से यह भी कहा गया कि सहायक आचार्य की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन की शर्तों में न्यूनतम शैक्षणिक आहर्ता में 50 प्रतिशत स्नातक और एक वर्षीय बीएड कोर्स की बात कही गई थी। जबकि दो साल बीएड का कोर्स करने वाले अधिक आहर्ता रखते हैं। ऐसे में आयोग की ओर से दो साल बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को चयन से बाहर करना गैरवाजिब है।
उनकी ओर से यह भी बताया गया कि दो वर्ष बीएड की डिग्री एनसीटीई गाइडलाइन के तहत वर्ष 2019 अधिसूचना जारी की गई थी। वर्ष 2023 में जेएसएससी की ओर से सहायक आचार्य की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को कानून सम्मत तरीके से ही देखा जाना चाहिए। ऐसे में अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर करना गलत है।
इसके बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि दो वर्ष डिग्री धारी अभ्यर्थियों को न्यूनतम योग्यता की शर्त के आधार पर चयन प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता है। अदालत ने नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल सभी वैसे अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने दो वर्षीय बीएड का कोर्स किया है।
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