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    Jharkhand News: 6800 सिपाहियों को झारखंड हाई कोर्ट की राहत, अब नई नियमावली के तहत होंगी नियुक्ति

    झारखंड हाई कोर्ट ने 6800 सिपाहियों को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने राज्य सरकार की सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली 65 याचिकाओं को खारिज किया और अदालत ने कहा कि सरकार को नियुक्ति नियमावली बनाने और उसमें संशोधन करने का पूरा अधिकार है। अदालत ने नियमावली के तहत की गईं सभी नियुक्तियां वैध बताईं और मामले में हस्तक्षेप नहीं करने की बात भी कही।

    By Manoj Singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 26 Apr 2024 10:01 PM (IST)
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    6800 सिपाहियों को झारखंड हाई कोर्ट की राहत (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस चंद्रशेखर व जस्टिस एके राय की खंडपीठ से 6800 सिपाहियों को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने राज्य सरकार की सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली 65 याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

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    अदालत ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार को नियुक्ति नियमावली बनाने और उसमें संशोधन करने का पूरा अधिकार है। अदालत ने कहा कि नियमावली के तहत हुई सभी नियुक्तियां वैध हैं और अदालत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

    अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित

    इन याचिकाओं पर 15 मार्च को सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनील टुडू सहित अन्य प्रार्थियों की ओर से कहा गया था कि सरकार ने वर्ष 2014 में सिपाही नियुक्ति नियमावली संशोधित की थी।

    यह नियमावली पुलिस मैनुअल के प्रविधानों के खिलाफ है। नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है। नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए।

    झारखंड कर्मचारी चयन आयोग का ये है कहना

    झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना था कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है।

    सरकार ने नियमावली को लेकर ये कहा

    सरकार की ओर से कहा गया कि नियुक्ति नियमावली बनाना और इसमें संशोधन करना सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। सरकार नई नियुक्ति नियमावली बनाकर उसके अनुसार ही नियुक्ति करती है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है। इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करना चाहिए।

    अदालत ने अंतरिम निर्देश में ये कहा

    पूर्व में सुनवाई के दौरान अदालत ने अंतरिम निर्देश देते हुए कहा था कि नई नियमावली के तहत 6800 सिपाहियों की नियुक्ति इस मामले के अंतिम आदेश से प्रभावित होगी।

    इसके साथ ही अदालत ने सार्वजनिक सूचना के तहत मामले में सभी सफल उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाने को कहा था। अदालत के निर्देश के बाद सफल 4250 अभ्यर्थियों ने अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज के माध्यम से कोर्ट में समक्ष अपना पक्ष रखा। उनकी ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि इनकी नियुक्ति पूरी तरह के वैध हैं।

    संविधान अनुच्छेद 309 के तहत नियमावली के तहत हुई नियुक्ति

    संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनी नई नियमावली के तहत इनकी नियुक्ति हुई है। यह पूरी तरह से पारदर्शी व्यवस्था थी और नियुक्ति प्रक्रिया नियम के अनुकूल है। नियमावली को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाए।

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