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    6th JPSC MAINS Result पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार का आदेश खारिज; अब सुप्रीम कोर्ट से आस

    By Alok ShahiEdited By:
    Updated: Mon, 21 Oct 2019 02:04 PM (IST)

    छठी जेपीएससी परीक्षा के परिणाम पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।17 सितंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

    6th JPSC MAINS Result पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार का आदेश खारिज; अब सुप्रीम कोर्ट से आस

    रांची, राज्य ब्यूरो। छठी जेपीएससी परीक्षा पर झारखंड हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सरकार के संकल्‍प को खारिज करते हुए प्रारंभिक परीक्षा के सफल सिर्फ 6103 परीक्षार्थियों के रिजल्‍ट में से मेंस परीक्षा के उत्‍तीर्ण के ताैर पर जारी करने के आदेश दिए गए है। मेंस परीक्षा के परिणाम पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को काफी गहमागहमी के बीच उच्‍च न्‍यायालय ने अपना अहम फैसला सुनाया। प्रारंभिक परीक्षा में तीन बार संशोधनों के बाद 34 हजार 634 अभ्‍यर्थी सफल घोषित किए गए थे।

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    इस फैसले से झारखंड के हजारों परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी मामले में सरकार के विज्ञापन की शर्तों में किए गए बदलाव को खारिज कर दिया। अदालत ने निर्देश दिया है कि प्रथम प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर ही मुख्य परीक्षा का रिजल्ट प्रकशित किया जाए। पहली बार छठी जेपीएससी का परिणाम वर्ष 2017 में आया था। तब करीब 5000 अभ्‍यर्थी पीटी में सफल घोषित किए गए थे। जिसे बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर रिवाइज किया गया था।

    इससे पहले हाईकोर्ट ने 17 सितंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कार्यवाहक चीफ जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सोमवार को यह अहम फैसला सुनाया। इस संबंध में पंकज कुमार पांडेय ने अपील याचिका दायर कर कहा था कि जेपीएससी ने परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों और शर्त में बदलाव किए हैं।

    सरकार के आदेश और नियमों का हवाला देते हुए न्यूनतम अंक की अर्हता में बदलाव किया गया। अंक बदलने के कारण परीक्षा के परिणाम भी बदले और संशोधित परिणाम जारी किया गया। याचिका में कहा गया कि परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों और शर्त में बदलाव नहीं किया जा सकता। उधर सरकार का कहना था कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस तरह की अधिसूचना जारी की थी और इस तरह के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया है।