Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand High court: कोर्ट फीस बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, कहा- कलेक्शन के बारे में पूरी जानकारी दें

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 10:14 AM (IST)

    झारखंड उच्च न्यायालय ने कोर्ट फीस में वृद्धि पर सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने फीस वृद्धि के औचित्य और राजस्व संग्रह की जानकारी मांगी है। अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या फीस वृद्धि से आम जनता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह मामला कोर्ट फीस में वृद्धि को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया।

    Hero Image

    कोर्ट फीस बढ़ाने का अधिवक्ताओं ने विरोध किया।

    राज्य ब्यूरो, रांची।  झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में कोर्ट फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) की ओर से दाखिल कोर्ट फीस से संबंधित जानकारी में विसंगति मिली।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस पर अदालत ने सरकार से पूछा कि सरकार की रिपोर्ट अलग क्यों है? सरकार की ओर से संबंधित विभाग से कोर्ट फीस के कलेक्शन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर रिपोर्ट देने की बात कही गई।

    पिछली सुनवाई के आदेश पर हाई कोर्ट के न्यायिक रजिस्ट्रार की ओर से राज्य के सभी जिला अदालतों में कोर्ट फीस के कलेक्शन के बारे में डेटा दिया गया था। सरकार की ओर से भी इससे संबंधित डेटा दाखिल किया गया।

    अदालत ने वर्ष 2011 से वर्ष 2021 तक हुए कोर्ट फीस कलेक्शन की जानकारी मांगी थी। बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से कोर्ट फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल की है।

    सहायक आचार्य नियुक्ति मामले में मांगा जवाब


    हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने प्रशिक्षित सहायक आचार्य प्रतियोगिता परीक्षा के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

    अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इसको लेकर प्रार्थी तरन्नुम साहिबा ने याचिका दाखिल की है। उनकी ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह पिछड़े वर्ग के तहत आवेदन की थी, लेकिन जेएसएससी ने उनके जाति प्रमाण पत्र को स्वीकार नहीं किया।

    एक दूसरे प्रार्थी एमडी जावेद अंसारी ने बीएड सर्टिफिकेट को वैध बताया तथा जेएसएससी के निर्णय को निरस्त करने का आग्रह किया।