Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    झारखंड हाई कोर्ट में जज से उलझ गए अधिवक्ता, आगे क्या हुआ...यहां जानिए विस्तार से

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता और जज के बीच तीखी बहस हुई, जिसके कारण अदालत की कार्यवाही बाधित हो गई। अधिवक्ता ने जज के प्रति असम्मानजनक भाषा का प्रयोग किया। अदालत की अवमानना के आरोप में अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और बार काउंसिल भी इस मामले में संज्ञान ले सकता है।

    Hero Image

    जज के साथ अधिवक्ता के विवाद मामले में सुनवाई हुई।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट की पांच जजों की वृहद पीठ में जस्टिस राजेश कुमार के साथ हुए विवाद मामले में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस आर मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की पीठ ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का आरोप तय कर दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी। हाई कोर्ट की एकलपीठ में गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता महेश तिवारी और जज के बीच एक मामले में तीखी नोक-झोंक हुई थी। हाई कोर्ट में होने वाली लाइव स्ट्रीमिंग का यह वीडियो गुरुवार को वायरल हो गया था।

    कोर्ट रूम में वीडियो हुआ प्रसारित

    शुक्रवार को हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने पहले बैठक की और उस में निर्णय लिया गया कि इस मामले में पांच जजों की पीठ आपराधिक अवमानना का मामला सुनेगी। इसके बाद सुबह 11 बजे चीफ जस्टिस सहित पांच जजों की पीठ में मामले की सुनवाई के लिए
    अधिसूचना जारी की गई।

    इसके बाद पांच जजों की पीठ सुनवाई के लिए बैठी। इस दौरान पेन ड्राइव के जरिए कोर्ट रूम के सारी टीवी में पूरे दिन की कोर्ट प्रोसिडिंग की रिकार्डिंग प्रसारित की गई। इस दौरान पूरा कोर्ट रूम वकीलों से खचाखच भर गया था।

    अधिवक्ता ने कहा- बयानों पर पछतावा नहीं

    कुछ देर बाद अधिवक्ता महेश तिवारी भी कोर्ट रूम पहुंचे। इसके बाद चीफ जस्टिस ने अधिवक्ता महेश तिवारी से पूछा कि इस मामले में उन्हें कुछ कहना है या सफाई देनी है। क्योंकि एकल पीठ में हुए इस कृत्य को प्रथम दृष्टया हम लोग आपराधिक अवमानना मान चुके हैं। कोर्ट आरोप तय करने के लिए बैठी है।

    इस पर अधिवक्ता महेश तिवारी ने कहा कि हुजूर मैंने कोई गलती नहीं की है। मैंने यह बयान बिल्कुल होश में दिया है। हमें इस पर कोई पछतावा नहीं है। इसके बाद अदालत ने आपने आदेश में कहा कि इस कृत्य से न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंची है।

    किसी भी जज को अंगुली नहीं दिखाई जा सकती है और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं पहुंचाई जा सकती है। इसलिए अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना के तहत आरोप तय किया जा रहा है। उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया जा रहा है।

    बिजली बिल बकाया से संबंधित मामला

    हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार 16 अक्टूबर को बिजली बिल बकाया से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान कोर्ट पर अन्याय करने की बात कही गई।

    उसके बाद एक अन्य मामले में कोर्ट की प्रोसिडिंग पूरी नहीं होने पर जज ने स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण से इसकी शिकायत की। तभी अधिवक्ता महेश तिवारी से तीखी नोक-झोंक हुई, जिसका वीडियो वायरल हुआ है।

    पहले भी एक अधिवक्ता का छीना गया लाइसेंस

    झारखंड में इस तरह एक मामला पहले भी आ चुका है। उस दौरान अधिवक्ता केके झा कमल ने जज को देख लेने की धमकी थी। इसके बाद पांच जजों की पीठ ने सुनवाई करते हुए आपराधिक अवमानना का दोषी मानते हुए छह माह की सजा और लाइसेंस निरस्त करने का आदेश दिया था।

    यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने छह माह सजा को हटाते हुए लाइसेंस निरस्त करते हुए हमेशा के लिए कोर्ट में प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी थी।