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    Jharkhand Politics: खफा मंत्री बन्ना गुप्ता बन सकते हैं झारखंड सरकार के लिए मुसीबत, किन मुद्दों पर है आपत्ति, जानिए...

    By Sanjay KumarEdited By:
    Updated: Sat, 05 Mar 2022 07:04 AM (IST)

    Jharkhand Politics मंत्री बन्ना गुप्ता झारखंड सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। झारखंड सरकार के साथ कई नीतिगत मुद्दों पर बन्ना गुप्ता की राय अलग है। बन्ना गुप्ता को आधा दर्जन से ज्यादा कांग्रेस विधायकों का समर्थन है। किन मुद्दों पर है आपत्ति जानिए...

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    Jharkhand Politics: बन्ना गुप्ता बन सकते हैं झारखंड सरकार के लिए मुसीबत

    रांची, (राज्य ब्यूरो)। Jharkhand Politics झारखंड के स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। हाल ही में गिरिडीह के पारसनाथ में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को निशाने पर लिया था। इससे राजनीतिक गलियारे में भीतर ही भीतर सुगबुगाहट बढ़ रही है। बन्ना गुप्ता लगातार सक्रिय हैं और वे उन नीतिगत मुद्दों पर सरकार को घेरकर खुद बाहर का रास्ता अपना सकते हैं, जिसपर झारखंड में पक्ष-विपक्ष के बीच घमासान मचा है। स्थानीयता के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाने और भाषा के मुद्दे पर बन्ना गुप्ता की राय एकदम अलग है, जिसपर वे समर्थकों के बीच मुखर हैं।

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    इस बात की भी अटकलें हैं कि इन मुद्दों को आधार बनाकर बन्ना गुप्ता झारखंड सरकार के खिलाफ ही मोर्चाबंदी कर सकते हैं। फिलहाल उनके तेवर से कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। यह भी बताया जाता है कि बन्ना गुप्ता को आधा दर्जन से ज्यादा कांग्रेस विधायकों का समर्थन है। बन्ना गुप्ता ने अगर कोई ठोस निर्णय किया तो ये विधायक उनका साथ देने को आगे आएंगे। वे समर्थक विधायकों का दायरा बढ़ाने के लिए भी लगातार संपर्क कर रहे हैं।

    एक बार भेज दिया था इस्तीफा

    बन्ना गुप्ता पूर्व में मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। तब उनकी आपत्ति स्वास्थ्य विभाग में हस्तक्षेप पर थी। वाकया कोरोना संक्रमण काल का है। बताते हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा मेडिकल आक्सीजन की गाड़ियों और एंबुलेंस के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए इस्तीफा भेजा था। इस्तीफे की प्रति झारखंड प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी आरपीएन सिंह को भी दी गई थी। आरपीएन सिंह ने तत्काल सुलह कराया। मुख्यमंत्री आवास में बैठक के बाद मामला शांत हुआ। इसकी जानकारी कांग्रेस के अन्य वरीय नेताओं को भी है। तब बन्ना गुप्ता का तर्क था कि सबकुछ मुख्यमंत्री ही करेंगे तो मैं किसलिए मंत्री बना हूं? ऐसा नहीं चलेगा।

    किन मुद्दों पर आपत्ति है बन्ना गुप्ता को

    1932 का खतियान : सत्तारूढ़ दल में 1932 का खतियान या जमीन के अंतिम सर्वे को स्थानीयता का आधार बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। मंत्री जगरनाथ महतो इसे लेकर काफी मुखर हैं। सरकार ने विधानसभा में भी कहा है कि पूर्व में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का अध्ययन कर खतियान की अनिवार्यता करने संबंधी निर्णय लिया जाएगा। बन्ना गुप्ता ने कांग्रेस नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि 1932 का खतियान मंजूर नहीं होगा। इसका वे विरोध करते रहेंगे। उनका पक्ष है कि ऐसा होने पर एक बड़ा वर्ग प्रभावित होगा, जो सही नहीं है।

    भाषा विवाद : झारखंड में नियोजन के लिए तय किए गए भाषा पर भी उनकी आपत्ति है। इसमें वे हिंदी को दर्जा देने के पक्षधर हैं। बन्ना गुप्ता ने पारसनाथ चिंतन शिविर में कहा था कि हिंदी और मां भारती के लिए वे कोई समझौता नहीं कर सकते।

    पिछड़ों का आरक्षण : बन्ना गुप्ता ने राज्य में पिछड़ों का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने को लेकर दबाव बनाया है। उन्होंने विपक्ष के मुद्दे को सही बताते हुए आंदोलन में साथ देने की बात कही है। फिलहाल इसपर सरकार ने कोई निर्णय नहीं किया है, लेकिन यह मामला तूल पकड़ रहा है।