Jharkhand कोई पद शत- प्रतिशत आरक्षित किया जा सकता है या नहीं, चल रहा मंथन; महिला सुपरवाइजर नियुक्ति मामला खंडपीठ में भेजा
झारखंड हाई कोर्ट में महिला सुपरवाइजर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया गया है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने यह न ...और पढ़ें

महिलाओं के लिए कोई पद शत- प्रतिशत आरक्षित किया जा सकता है या नहीं, कोर्ट ने खंडपीठ को याचिका स्थानांतरित करते हुए यह तय करने को कहा है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में महिला सुपरवाइजर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका में उठाए गए संवैधानिक मामले को देखते हुए इसे खंडपीठ में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने खंडपीठ को याचिका स्थानांतरित करते हुए यह तय करने को कहा है कि महिलाओं के लिए कोई पद शत- प्रतिशत आरक्षित किया जा सकता है या नहीं।
महिला सुपरवाइजर का पद पर निर्णय सुरक्षित
इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने यह सवाल उठाया था कि महिला सुपरवाइजर का पद केवल महिला कैडर के लिए ही सीमित किया जा सकता है या नहीं, जिस पर निर्णय सुरक्षित रखा गया था।
अदालत ने नियुक्ति प्रक्रिया पर लगाई गई रोक को अगले आदेश तक जारी रखने का निर्देश दिया था। पिछली सुनवाई में राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया था कि महिला सुपरवाइजर का पद केवल महिला कैडर के लिए ही सृजित किया गया है।
कारण यह है कि यह पद लक्षित समूह जैसे गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु की माताओं से सीधा जुड़ा है। उन्होंने कहा था कि महिला सुपरवाइजरों का कार्य महिलाओं से संबंधित होता है, इसलिए यह पद महिलाओं के लिए ही रखा गया है और देश के अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार की व्यवस्था है।
प्रार्थी आकांक्षा कुमारी एवं अन्य की ओर से दलील दी गई कि किसी भी नियुक्ति में किसी वर्ग को शत-प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता। उनका कहना था कि इस भर्ती में केवल महिलाओं से ही आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।
बता दें कि जेएसएससी ने महिला एवं बाल विकास विभाग में महिला सुपरवाइजर के 421 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। प्रार्थी भी इस परीक्षा शामिल हुए लेकिन आयोग की ओर से प्रार्थियों का चयन यह कहते हुए नहीं किया कि इनकी शैक्षणिक योग्यता विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप नहीं है।
प्रार्थियों के पास विज्ञापन में निर्धारित मुख्य विषय की बजाय सहायक विषयों की डिग्री है। जबकि नियुक्ति नियमावली में ऐसा नहीं है। सुनवाई के दौरान यह मुद्दा भी उठाया गया कि नियुक्ति में किसी वर्ग को शत-प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इसमें सिर्फ महिलाओं से आवेदन मांगा गया है।

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