झारखंड हाईकोर्ट ने हरमू नदी और जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने पर जताया असंतोष, सफाई नहीं हुई तो अवमानना का मामला
झारखंड हाईकोर्ट ने हरमू नदी और जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने में हो रही देरी पर असंतोष जताया है। कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा कि अगर सफाई ...और पढ़ें

हरमू नदी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में राज्य के जलस्रोतों एवं नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर असंतुष्टि जताई।
अदालत ने सरकार के जवाब पर मौखिक रूप से कहा कि अतिक्रमण हटाने में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। जलाशयों पर अतिक्रमण करने वाले सभी लोगों को चिह्नित कर उनके खिलाफ अभियान चलाया जाए। अदालत ने कहा कि नगर निगम हरमू नदी को प्लास्टिक मुक्त करे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो अदालत संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाएगी।
मामले में अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी। कोर्ट ने कहा कि जलस्रोतों की दुर्दशा केवल पर्यावरण का नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य और शहरी जीवन से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि हरमू नदी में मुक्तिधाम के निकट प्लास्टिक एवं कचरा का जमाव हो गया है।
भारी मात्रा में कचरा जमा होने के कारण नदी की धारा लगभग अवरुद्ध हो चुकी है। कोर्ट ने सरकार से हरमू नदी की सफाई को लेकर अब तक की गई कार्रवाई, प्रस्तावित योजना और नदी को पूरी तरह साफ करने की समय सीमा से संबंधित विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि बड़ा तालाब की सफाई को लेकर अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई है। सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रुड़की स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलाजी (आइआइएच) के विशेषज्ञों से रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें बड़ा तालाब के तल में जमी गाद और गंदगी को वैज्ञानिक तरीके से हटाने की योजना तैयार की जा रही है। प्रार्थी ने कहा कि सरकार ने सितंबर में ही रुड़की के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलाजी को इसका काम दिया था।
पूर्व में कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई करने, अतिक्रमण हटाने के बाद वहां फिर से कोई अतिक्रमण न होने, जलस्रोतों ठोस कचरा जाने से रोकने आदि के संबंध में दिशा निर्देश दिया था। जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर टास्क फोर्स गठित कर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी।
कोर्ट को बताया गया था कि रांची के बड़ा तालाब की सफाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है। न्याय मित्र ने कहा था कि रांची के कांके डैम, धुर्वा डैम एवं गेतलसूद डैम में अतिक्रमण किया गया है। सरकार पूर्व के आदेशों का अनुपालन नहीं कर रही है।

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