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    हेमंत सरकार की कार्यप्रणाली से झारखंड हाई कोर्ट नाराज, लगाया 100000 लाख का जुर्माना

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 07:24 PM (IST)

    झारखंड उच्च न्यायालय ने हेमंत सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त करते हुए 100000 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने सरकार के कामकाज के तरीक ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर कड़ा रुख अपनाते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि सरकार और उसके अधिकारी न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करने के लिए निराधार और दुर्भावनापूर्ण याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं।

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    खंडपीठ ने राज्य सरकार की दाखिल पुनर्विचार याचिका को फर्जी और निराधार करार देते हुए खारिज कर दिया तथा संबंधित अधिकारियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे उन्हें अपनी जेब से जमा करना होगा।

    हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि चूंकि सरकारी अधिकारी मुकदमेबाजी का खर्च अपनी जेब से नहीं देते, इसलिए वे बेबुनियाद और अनावश्यक याचिकाएं दायर करने से नहीं हिचकते। अदालत ने इसे सार्वजनिक धन की बर्बादी करार दिया और कहा कि अब इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने का समय आ गया है।

    यह मामला आरके कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि 25 अगस्त 2025 को पारित उसके आदेश में मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की गई थी, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के बाध्यकारी निर्देशों के तहत न्यायालय को तय समय-सीमा में निर्णय करने को कहा गया था। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल करना केवल निष्पादन कार्यवाही को रोकने की मंशा को दर्शाता है।

    हाई कोर्ट ने राज्य को बलशाली वादी और कंपनी को कमजोर पक्ष बताते हुए कहा कि राज्य का कर्तव्य है कि वह ईमानदार दावों का सम्मान करे, न कि तकनीकी हथकंडों से नागरिकों को परेशान करे। अदालत ने कहा कि अधिकारियों की इस अनावश्यक मुकदमेबाजी से सार्वजनिक धन की खुली बर्बादी हो रही है।

    खंडपीठ ने कड़ी चेतावनी देते हुए निर्देश दिया कि अब से राज्य की ओर से दाखिल की जाने वाली अपील, पुनरीक्षण या अनुच्छेद 227 की याचिकाएं तभी स्वीकार होंगी, जब उनके साथ झारखंड राज्य मुकदमा नीति के पालन का प्रमाण पत्र संलग्न होगा।

    अदालत ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए जुर्माने की राशि चार सप्ताह में झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) में जमा करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।