सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद झारखंड HC ने हफ्ते भर में सुना दिया फैसला, 6 को मिली थी फांसी की सजा
झारखंड हाई कोर्ट ने 10 दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एक सप्ताह में फैसला सुनाया जिनमें से छह को मृत्युदंड मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से जवाब मांगा था कि फैसले सुरक्षित रखने के बाद भी वर्षों तक निर्णय क्यों लंबित रहे। अदालत ने कुछ दोषियों की सजा रद कर दी कुछ की बरकरार रखी और कानूनी सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए।

एजेंसी, नई दिल्ली/झारखंड। याचिकाओं के निपटारे में देरी की शिकायत करते हुए 10 दोषियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने उनकी अपीलों पर मात्र एक सप्ताह के भीतर फैसला सुना दिया।
इस मामले में फैसला कई वर्षों से सुरक्षित था। इन 10 दोषियों में से छह को मृत्युदंड सुनाया गया था। उन्होंने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर याचिकाओं पर वर्षों पहले फैसला सुरक्षित रखे जाने के बावजूद निर्णय लेने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
शीर्ष अदालत ने उन सभी हाई कोर्टों से रिपोर्ट मांगी है, जहां मामले निर्णय के लिए सुरक्षित रखे जाने के बाद वर्षों से लंबित हैं।
हाई कोर्ट से मांगा जवाब
14 जुलाई को शीर्ष अदालत ने दोषियों की याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई और राज्य सरकार तथा हाई कोर्ट से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने 21 जुलाई को मामले की सुनवाई की।
दोषियों की ओर से पेश वकील फौजिया शकील ने पीठ को बताया कि हाई कोर्ट ने अलग-अलग तारीखों पर फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमित कुमार दास और बसंत कुमार महतो के मामले में हाई कोर्ट ने क्रमश: 16 जुलाई और 18 जुलाई को उनकी दोषसिद्धि और सजा को रद कर दिया।
दास को जेल से रिहा कर दिया गया है, जबकि फैसला अपलोड नहीं किए जाने के कारण महतो जेल में ही है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे निर्मल भेंगरा के मामले में पीठ ने कहा कि दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उसकी याचिका हाई कोर्ट ने 18 जुलाई को खारिज कर दी थी।
पीठ ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता से तुरंत संपर्क करें और अगर वह निजी वकील की सेवाएं लेने की स्थिति में नहीं है, तो उसे निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करें।
नितेश साहू की याचिका खारिज
पीठ ने कहा कि मृत्युदंड का सामना कर रहे नितेश साहू की याचिका भी खारिज कर दी गई है और उसके मामले में भी इसी तरह का उपाय अपनाया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले दो अन्य दोषियों सनातन बास्की और सुखलाल मुर्मु के मामले में हाई कोर्ट ने 17 जुलाई को फैसला सुनाया।
इस मामले में मतभेद के बाद इसे तीसरे न्यायाधीश के पास भेज दिया गया था। पीठ ने यह भी कहा कि मौत की सजा पाने वाले तीन अन्य दोषियों गांधी उरांव, रोहित राय और बंधन उरांव के मामले में हाई कोर्ट ने 18 जुलाई को फैसला सुनाया था और उनकी याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।
शीर्ष अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को इन तीनों से संपर्क करने और शीर्ष अदालत में अपील दायर करने या उपयुक्त अधिकारी के समक्ष क्षमादान की याचिका दायर करने में उनकी सहायता करने को कहा। आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रताप साही के मामले में भी इसी तरह के निर्देश दिए गए।
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