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    हेमंत सोरेन की ईडी समन अवहेलना याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई टाली, पेसा एक्ट मामले में झारखंड सरकार को फटकार

    By Manoj KumarEdited By: Chandan Sharma
    Updated: Thu, 18 Dec 2025 08:18 PM (IST)

    Jharkhand हाई कोर्ट में हेमंत सोरेन से जुड़े ईडी समन अवहेलना याचिका और पेसा एक्ट नियमावली लागू करने की मांग पर सुनवाई हुई। अदालत ने सोरेन की याचिका पर ...और पढ़ें

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    ईडी समन अवहेलना मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।

    स्टेट ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई हुई, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी ईडी समन अवहेलना याचिका और पेसा एक्ट नियमावली लागू करने की मांग शामिल है। दोनों मामलों में अदालत ने आगे की तिथियां निर्धारित की हैं।

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    झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े ईडी समन अवहेलना मामले की सुनवाई हुई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन की अवहेलना से जुड़े मामले में सोरेन की याचिका पर अदालत ने सुनवाई की। इस याचिका में ईडी की शिकायत और निचली अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान को चुनौती दी गई है।

    सुनवाई के दौरान सोरेन की ओर से दस्तावेज दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई। अदालत ने इस मांग को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 निर्धारित की है।

    यह मामला कथित भूमि घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा है, जिसमें ईडी ने सोरेन पर कई समन की अनदेखी का आरोप लगाया है।

    एमपी-एमएलए कोर्ट के संज्ञान को दी गई चुनौती

    हेमंत सोरेन ने इस मामले में रांची स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। अपनी याचिका में उन्होंने निचली अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान को गलत और कानूनन असंगत बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि ईडी द्वारा दायर शिकायतवाद के आधार पर लिया गया संज्ञान विधि सम्मत नहीं है।

    ईडी का अरोप, समन की लगातार अवहेलना हुई 

    प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन के खिलाफ समन के अनुपालन नहीं करने को लेकर अदालत में शिकायतवाद दर्ज कराया है। ईडी का कहना है कि जमीन घोटाला मामले की जांच के दौरान हेमंत सोरेन को कुल 10 बार समन भेजे गए थे। इनमें से वे केवल दो समन पर ही ईडी के समक्ष उपस्थित हुए, जबकि शेष समनों का उन्होंने पालन नहीं किया।

    ईडी का तर्क है कि बार-बार भेजे गए समनों की अनदेखी करना समन की अवहेलना की श्रेणी में आता है। एजेंसी ने अदालत से आग्रह किया है कि इसे गंभीरता से लेते हुए विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। फिलहाल इस शिकायतवाद पर निचली अदालत में सुनवाई जारी है।

    इस मामले की अगली सुनवाई को लेकर राजनीतिक और कानूनी हलकों में खास रुचि देखी जा रही है। 15 जनवरी को होने वाली सुनवाई में यह स्पष्ट हो सकता है कि हाई कोर्ट इस मामले में आगे किस दिशा में कदम बढ़ाता है

    पेसा एक्ट लागू करने की अवधि बताए सरकार

    गुरुवार को ही अदालत में पेसा एक्ट नियमावली लागू करने की मांग को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर भी सुनवाई हुई। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सुनवाई के दौरान नियमावली लागू करने की सरकार की ओर से को स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। इसपर अदालत ने नाराजगी जताते हुए सरकार को 23 दिसंबर तक उक्त जानकारी देने का निर्देश दिया।

    अदालत ने कहा कि यदि उक्त तिथि तक नियमावली लागू करने के समय की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई तो कोर्ट कड़ा रूख अपनाएगी। अदालत ने बालू घाटों सहित लघु खनिजों के आवंटन पर रोक को बरकरार रखा। सुनवाई के दौरान पंचायती राज सचिव कोर्ट में उपस्थित हुए थे। कोर्ट ने सचिव से पूछा कि पेसा कानून से संबंधित नियमावली कैबिनेट में पेश की गई है या नहीं।

    इस पर सचिव ने जानकारी देने के लिए समय देने का आग्रह किया। कोर्ट ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और सुनवाई मंगलवार को निर्धारित की है। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार कर लिया है। पहले उक्त प्रारूप कैबिनेट को-आर्डिनेशन कमेटी को भेजा गया था। आपत्ति आने पर फिर से संशोधित कर ड्राफ्ट कमेटी को भेजा गया है। वहां से इसे कैबिनेट भेजा जाएगा।

    आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दाखिल है याचिका

    इस संबंध में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की है। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता तान्या सिंह ने पक्ष रखा। पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा कानून) केंद्र सरकार ने 1996 में लागू किया था।

    इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। एकीकृत बिहार से लेकर झारखंड गठन के बाद तक राज्य सरकार ने अब तक इस कानून के तहत नियमावली नहीं बनाई है। झारखंड सरकार ने वर्ष 2019 और 2023 में पेसा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया था, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया। पूर्व में कोर्ट ने पेसा एक्ट लागू करने का आदेश दिया है।