Jharkhand News: 3,614 सरकारी स्कूलों में हैबिनेटेशन मैपिंग का कार्य पूरा, एप के माध्यम से हो रहा घर-घर सर्वे
झारखंड के 3,614 सरकारी स्कूलों में हैबिटेशन मैपिंग का काम पूरा हो गया है। एप के माध्यम से घर-घर सर्वे किया जा रहा है। शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे और सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए योजनाएं बना रही है।

राज्य में पहली बार हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे का कार्य डिजिटल मोड पर किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो,रांची। राज्य में पहली बार हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे का कार्य डिजिटल मोड पर किया जाएगा। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने इसे लेकर डहर एप और पोर्टल तैयार किया है।
राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन ने हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे की समीक्षा बैठक हुई। बैठक के दौरान सभी जिलों के संबंधित पदाधिकारियों को हैबिटेशन मैपिंग का कार्य शीध्र पूरा करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में यह बात सामने आई कि राज्य में अबतक 3,614 विद्यालयों ने हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा कर लिया है। रांची में सर्वाधिक 52 प्रतिशत विद्यालयों ने हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा किया है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्य परियोजना निदेशक ने कहा कि हैबिटेशन मैपिंग में पदाधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जल्द से जल्द हैबिटेशन मैपिंग का कार्य पूरा करे।
एक सप्ताह तक इसकी निरंतर निगरानी करे। हैबिटेशन मैपिंग का कार्य एक सप्ताह में हो जाना चाहिए। शशि रंजन ने कहा कि हैबिटेशन मैपिंग का कार्य जल्द पूरा करते हुए दिसंबर से शिशु पंजी सर्वे का कार्य शुरू करे।
उन्होंने कहा कि हर सप्ताह हैबिटेशन मैपिंग और शिशु पंजी सर्वे की निगरानी की जाएगी। हैबिटेशन मैपिंग में संतोषजनक एवं समयबद्ध कार्य नहीं होने पर संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों और प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई होगी।
बैठक में प्रभाग प्रभारी बिनीता तिर्की ने कहा कि एक पोषक क्षेत्र में दो स्कूल टैग ना करे। किसी भी घर का सर्वे दोबारा नहीं होगा। शिशु पंजी सर्वे करना हर शिक्षक का दायित्व है। जो शिक्षक इसमें सम्मिलित नहीं होंगे, उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा।
उन्होंने हैबिटेशन मैपिंग के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए डहर 1.4 वर्जन को डाउनलोड करने का निर्देश दिया। बैठक में बताया गया कि सभी विद्यालयों में प्रधानाध्यापक भी घर-घर सर्वे का काम करेंगे।
प्रधानाध्यापक को भी टोलो से टैग होना होगा ताकि हर घर का सर्वे पूरा हो सके। एक शिक्षक वाले स्कूलों में प्रधानाध्यापक के साथ-साथ गैर सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों का सहयोग भी लिया जाएगा। सर्वे में वार्ड के नाम के साथ वार्ड संख्या भी दर्ज करना होगा।

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