'न मैं चैन से बैठता हूं, न बैठने दूंगा', झारखंड के ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस मुहैया कराने के सख्त निर्देश
झारखंड सरकार ने दूरदराज के इलाकों में एंबुलेंस की कमी से निपटने के लिए स्ट्रेचर उपलब्ध कराने का फैसला किया है। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने 10 से 15 हजार स्ट्रेचर खरीदने के निर्देश दिए हैं। सभी सदर अस्पतालों को हाईटेक एंबुलेंस भी मिलेंगी। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और नए मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना बना रही है।

राज्य ब्यूरो, रांची। पहाड़ी, सुदूर और दुर्गम इलाकों में एंबुलेंस न मिलने के कारण मरीजों को खाट पर ले जाने की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं। राज्य सरकार ने इससे निपटने का नया और अनोखा तरीका निकाला है। ऐसे इलाकों में मरीजों को खाट पर अस्पताल न ले जाना पड़े, इसके लिए ऐसे इलाकों में स्ट्रेचर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिन पर वहां के लोग मरीजों को अस्पताल ले जा सकेंगे।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने सोमवार को नामकोम स्थित आईपीएच सभागार में आयोजित सात दिवसीय स्वास्थ्य मेले के समापन समारोह में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने विभाग को 10 से 15 हजार स्ट्रेचर खरीदने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि हम खाट व्यवस्था बंद करेंगे ताकि ऐसी कोई रील वायरल न हो।
स्वास्थ्य मंत्री ने इस अवसर पर सभी सदर अस्पतालों को चार हाईटेक एंबुलेंस देने की घोषणा करते हुए कहा कि इसके लिए उन्हें पुरानी और खराब एंबुलेंस वापस करनी होंगी।
उन्होंने साफ कहा कि राज्य गठन के 24 साल बाद भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ है। निर्माणाधीन दो मेडिकल कॉलेज (कोडरमा और चाईबासा) भी अभी तक हैंडओवर नहीं हुए हैं। वे छह नए मेडिकल कॉलेज बनाने जा रहे हैं जो समय पर बनेंगे।
उन्होंने मेडिकल कॉलेजों और सदर अस्पतालों में रोबोटिक तकनीक अपनाने का भी ज़िक्र किया और कहा कि इस बारे में उनकी कई संस्थानों से बातचीत चल रही है।
उन्होंने विभाग के अपर मुख्य सचिव को ज़िलों में कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए ताकि वहाँ के लोगों को पता चल सके कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या काम हो रहा है। इस अवसर पर खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने डॉक्टरों और कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने की ज़रूरत बताई और संविदा कर्मचारियों को गृह ज़िलों में तैनात करने की वकालत की।
विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि वर्ष 2026 तक सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन के तहत प्रमाणित किया जाएगा। अब तक 50 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री ने कायाकल्प, एनक्यूएएस, लक्ष्य और मुस्कान जैसे महत्वपूर्ण गुणवत्ता मानकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए।
इस अवसर पर एनएचएम के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा, झारखंड मेडिकल कॉर्पोरेशन के एमडी अबू इमरान, डॉ. सिद्धार्थ सान्याल आदि उपस्थित थे।
न मैं चैन से बैठता हूं, न बैठने दूंगा
स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टरों से कहा कि स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए वे चैन से नहीं बैठते। न ही उन्हें बैठने देंगे। उन्हें काम चाहिए। उन्होंने इसमें सभी से सहयोग का आह्वान भी किया।
744 संस्थानों को मिला प्रतिष्ठित गुणवत्ता प्रमाणन
इस अवसर पर कायाकल्प, एनसीडब्ल्यूएएस, लक्ष्य और मुस्कान के अंतर्गत कुल 744 स्वास्थ्य संस्थानों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कायाकल्प श्रेणी में रांची सदर अस्पताल को देश में प्रथम स्थान मिला, जिसके लिए उसे 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई।
पर्यावरण अनुकूल जिला अस्पताल की श्रेणी में भी रांची सदर को प्रथम पुरस्कार मिला और इसके लिए 10 लाख रुपये का चेक दिया गया। पर्यावरण अनुकूल सीएचसी श्रेणी में सीएचसी ओरमांझी को भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सिमडेगा सदर अस्पताल को ENQAS और लक्ष्य प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
272 संस्थानों को ENQAS प्रमाणपत्र
11 सदर अस्पतालों, 31 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 48 शहरी/प्राथमिक केंद्रों और 380 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को ENQAS प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। रांची और रामगढ़ सदर अस्पतालों को मुस्कान प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए।
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