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    झारखंड सरकार सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित करने को तैयार, कहा- आस्था का रखा जाएगा पूरा ख्याल

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Wed, 04 Jan 2023 04:02 AM (IST)

    झारखंड सरकार सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित करने को तैयार है। पर्यटन कला संस्कृति मंत्री ने कहा कि जैन समाज की आस्था का पूरा ख्याल रखा जाएगा। मुख्यमंत्री के साथ जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल की शीघ्र मुलाकात कराई जाएगी।

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    झारखंड सरकार सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित करने को तैयार

    रांची, राज्य ब्यूरो: झारखंड सरकार गिरिडीह के पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में घोषित करने को तैयार है, लेकिन जैन समाज वर्ष 2019 में राज्य सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग पर अड़ा हुआ है, जिसके तहत पारसनाथ को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटन स्थल घोषित किया गया है। राज्य सरकार इस अधिसूचना में पर्यटन स्थल के साथ धार्मिक स्थल जोड़ने को तैयार है।

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    सम्मेद शिखरजी के लिए जयपुर में जैन मुनि की समाधि के सवाल पर राज्य के पर्यटन, कला संस्कृति मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि जैन समाज की आस्था का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सोमवार को उनसे मिलने पहुंचे जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल को इसका आश्वासन भी दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ प्रतिनिधिमंडल की बैठक शीघ्र कराई जाएगी, ताकि इसका समाधान निकल सके।

    सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में मौन पदयात्रा

    राज्य सरकार द्वारा जैन धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग की जा रही है। राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ मंगलवार को राजधानी रांची में मौन पद यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुष शामिल हुए। इस यात्रा को जैन धर्मावलंबियों के अलावा मारवाड़ी व अन्य समाज का भी समर्थन मिला।

    राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

    सुरक्षा व्यवस्था के बीच जैन समाज एवं झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपा कर सरकार के फैसले को रद करने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया कि श्री सम्मेद शिखरजी पूरी दुनिया के जैन धर्मावलंबियों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। जैन समाज के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने इस पर्वत पर तपस्या की और मोक्ष प्राप्त किया है। इसे पर्यटन स्थल बनाने से इसकी पवित्रता भंग होगी। इससे अहिंसक जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।

    इस विषय पर मैं विशेष बात अभी नहीं रख पाऊंगा। भारत सरकार द्वारा गजट प्रकाशित हुआ है। हमने न तो कोई टीका टिप्पणी की है और कोई निर्णय नहीं लिया है। यह किस संदर्भ में है, इसकी जानकारी लेनी होगी। इसमें कोई चिंता की आवश्यकता नहीं है। सभी समाज और धर्मों का सम्मान है। जो इनके सवाल हैं, इन सवालों के क्या हल हो सकते हैं, ये हम देख रहे हैं। मीडिया ट्रायल का कोई फायदा नहीं है। क्या अभी तक कार्रवाई हुई है, उसे देखने के बाद ही सरकार निर्णय करेगी।

    - हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

    राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को समन किया

    राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जैनियों के पवित्र तीर्थ स्थल पारसनाथ (सम्मेद शिखर जी) को पर्यटक स्थल घोषित किए जाने को लेकर चल रहे विवाद में हस्तक्षेप किया है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव समेत राज्य सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव को भी समन किया है। आयोग 17 जनवरी को इस मामले में सुनवाई करेगा।

    आयोग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पूरे भारतवर्ष के जैन समुदाय के लोगों की भावनाएं इससे आहत हुई है। जैन समुदाय के प्रतिनिधिमंडल की ओर से कई शिकायतें मिली है। प्रतिनिधिमंडल का आग्रह है कि इसे तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भी इस संबंध में झारखंड सरकार से आग्रह कर चुका है।

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