Jharkhand Fertility Rate: जानना जरूरी है! झारखंड की प्रजनन दर बिहार-यूपी से कम, पर राष्ट्रीय औसत से अधिक
झारखंड की प्रजनन दर अन्य राज्यों की तुलना में उच्च स्तर पर है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड की कुल प्रजनन दर 2.3 है जो राष्ट्रीय औसत 2.0 से अधिक है।तुलनात्मक रूप से दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों जैसे तमिलनाडु (1.4) केरल (1.8) और दिल्ली (1.6) में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।

प्रदीप सिंह, रांची। Jharkhand Fertility Rate जनसांख्यिकीय दृष्टिकोण से झारखंड की प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट) अन्य राज्यों की तुलना में उच्च स्तर पर है। कुल प्रजनन दर एक महिला द्वारा अपने प्रजनन काल में औसतन जन्म दिए जाने वाले बच्चों की संख्या को दर्शाती है।
यह जनसंख्या नियंत्रण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड की कुल प्रजनन दर 2.3 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.0 से अधिक है।
यह दर प्रतिस्थापन स्तर (रिप्लेसमेंट लेवल) 2.1 से भी ऊपर है, जो जनसंख्या स्थिरता के लिए आवश्यक माना जाता है। तुलनात्मक रूप से दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों जैसे तमिलनाडु (1.4), केरल (1.8), और दिल्ली (1.6) में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
Jharkhand Health वहीं, उत्तरी और पूर्वी राज्यों जैसे बिहार (3.0), उत्तर प्रदेश (2.4) और मध्य प्रदेश (2.0) में प्रजनन दर झारखंड के लगभग समान या उससे अधिक है।
झारखंड की उच्च प्रजनन दर का एक प्रमुख कारण ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन दर का शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक होना है। सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड में ग्रामीण क्षेत्रों में टोटल फर्टिलिटी रेट 2.5 है।
जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 1.9 है। यह अंतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता के स्तर में असमानता को भी दर्शाता है।
साक्षरता दर कम होना भी वजह
झारखंड में उच्च प्रजनन दर के पीछे कई सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक कारक हैं। पहला, साक्षरता दर का निम्न स्तर, विशेषकर महिलाओं में, एक प्रमुख कारण है। 2011 की जनगणना के अनुसार, झारखंड की महिला साक्षरता दर 55.24% थी, जो राष्ट्रीय औसत 65.46% से कम है।
शिक्षा का अभाव परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक उपायों के उपयोग को सीमित करता है। स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच और कुपोषण की समस्या भी मातृ-शिशु मृत्यु दर को बढ़ाती है।
इस कारण परिवार अधिक बच्चे पैदा करने की प्रवृत्ति रखते हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 2020-21 में कुपोषण की दर 23.22% थी, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर प्रभाव
आदर्श प्रजनन दर वह स्तर है, जो जनसंख्या को स्थिर रखे और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दे। झारखंड की वर्तमान प्रजनन दर 2.3 प्रतिस्थापन स्तर से थोड़ी अधिक है, जिसका अर्थ है कि राज्य अभी भी जनसंख्या वृद्धि के दबाव का सामना कर रहा है।
यह स्थिति संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डालती है और शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में प्रगति को बाधित करती है। हालांकि, राज्य में प्रजनन दर में कमी के संकेत दिख रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य-चार (2015-16) में टोटल फर्टिलिटी रेट 2.6 था, जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य-पांच में घटकर 2.3 हो गया।
यह प्रगति परिवार नियोजन कार्यक्रमों, गर्भनिरोधक उपयोग में वृद्धि (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य-पांच के अनुसार 65.7%) और शिक्षा के प्रसार का परिणाम है।
फिर भी, आदर्श स्थिति प्राप्त करने के लिए झारखंड को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, महिला साक्षरता में सुधार और सामाजिक जागरूकता अभियानों को तेज करना होगा।
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