झारखंड में जल्द बनेगी संगीत नाटक, ललित कला और साहित्य अकादमी; कैबिनेट से मिली मंजूरी
झारखंड सरकार ने राज्य में संगीत, नाटक, ललित कला और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी और साहित्य अकादमी की स्थापना को मंजूरी दी है। इन अकादमियों का उद्देश्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है। यह पहल युवाओं को अपनी रचनात्मक प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करेगी।

राज्य में शीघ्र बनेगी संगीत नाटक, ललित कला तथा साहित्य अकादमी। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में तीन महत्वपूर्ण अकादमियां झारखंड राज्य संगीत नाटक अकादमी, झारखंड राज्य ललित कला अकादमी तथा झारखंड राज्य साहित्य अकादमी शीघ्र ही अस्तित्व में आएंगी।
राज्य सरकार के पर्यटन, कला संस्कृति एवं खेलकूद विभाग ने इनके गठन संबंधित नियमावलियों पर कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद उन्हें अधिसूचित कर दिया है।
अब इन अकादमियों में अलग-अलग अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा कोषाध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अकादमियों में राज्य सरकार द्वारा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों पर संबंधित क्षेत्र में ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों को नियुक्त किया जाएगा।
अध्यक्ष को मिलेंगे 75 हजार रुपए मानदेय
राज्य सरकार द्वारा गठित नियमावलियों के अनुसार, अकादमियों में अध्यक्ष के पद पर नियुक्त होनेवाले व्यक्ति का प्रतिमाह 75 हजार रुपये मानदेय देय होगा। इसी तरह, उपाध्यक्ष को प्रतिमाह 50 हजार रुपये तथा कोषाध्यक्ष को 25 हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा।
इनके अलावा, इन्हें अन्य कोई भत्ता देय नहीं होगा। तीनों अकादमियों में एक-एक सचिव का भी पद होगा, जो संबंधित अकादमी का पूर्णकालिक प्रधान कार्यकारी अधिकारी होगा।
पदाधिकारियों का इतने साल का होगा कार्यकाल
इस पद पर उपसचिव स्तर के पदाधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। तीनों अकादमियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा कोषाध्यक्ष का कार्यकाल तीन-तीन वर्ष का होगा। हालांकि, इन्हें पहले भी पद से मुक्त किया जा सकेगा।
कोषाध्यक्ष वित्तीय सलाहकार का भी काम करेंगे। इन तीनों अकादमियों का संचालन राज्य सरकार से मिलनेवाले अनुदान, सीएसआर के तहत प्राप्त होनेवाली राशि तथा साहित्य प्रकाशनों की बिक्री तथा ब्याज के रूप में मिलनेवाली राशि से होगी।
महापरिषद में संबंधित क्षेत्र के आठ विशेषज्ञ होंगे सदस्य
तीनों अकादमियों में प्रत्येक में महापरिषद, कार्यकारिणी समिति तथा वित्तीय समिति का गठन किया जाएगा। संबंधित अकादमी के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष महापरिषद के अध्यक्ष होंगे।
महापरिषद में पांच व्यक्तियों का मनोनयन किया जाएगा जिनमें एक पर्यटन एवं कला संस्कृति तथा एक शिक्षा विभाग के पदाधिकारी होंगे। इनके अलावा, छह सदस्य राज्य के विश्वविद्यालयों के संबंधित विभागों से मनोनीत किए जाएंगे।
कोई भी संगठन से एक ही सदस्य होगा। राज्य सरकार संबंधित क्षेत्र की संस्थाओं से भी आठ प्रतिनिधि तथा आठ कलाकार/साहित्यकार का मनोनयन करेगी।
गैलरी और पुस्तकालय की होगी स्थापना
तीनों अकादमियां अपने मुख्य कार्यों के अलावा अपने-अपने क्षेत्र के लिए एक-एक गैलरी और पुस्तकालय की स्थापना करेगी। इनके माध्यम से राज्य में संबंधित क्षेत्र जैसे संगीत, नाट्यकला, रंगमंच, साहित्य, ललित कला आदि का विकास किया जाएगा। इसका लाभ संबंधित क्षेत्र के शोधार्थियों को भी मिलेगा।
अकादमियों के ये होंगे मुख्य कार्य
- संबंधित क्षेत्र के संगठनों, विश्वविद्यालयों के विभाग से समन्वय स्थापित कर सहयोग प्रदान करना तथा संबंधित क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना।
- संबंधित क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- सम्मेलनों, संगोष्ठियों एवं प्रदर्शनी का आयोजन करना।
- संबंधित क्षेत्र के कार्यों व उपलब्धियों का प्रिंट, आडियो एवं वीडियो माध्यम से रिकार्ड रखना।
- संबंधित क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार को आवश्यक सुझाव देना।

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