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    Jharkhand Election 2024: दुमका के रण में क्या बसंत सोरेन बचा पाएंगे परिवार की प्रतिष्ठा? जानें क्या हैं सियासी समीकरण

    दुमका विधानसभा सीट झामुमो की परंपरागत सीट मानी जाती है जहां से अब तक पार्टी ने सार्वधिक बार चुनाव जीता है। वहीं बीजेपी ने भी इस बार दुमका सीट से मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। बीजेपी उम्मीदवार सुनील सोरेन झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन और उनके बेटे स्व.दुर्गा सोरेन को चुनाव में हरा चुके हैं। ऐसे में इस बार बसंत सोरेन की राह आसान नहीं रहने वाली।

    By Divya Agnihotri Edited By: Divya Agnihotri Updated: Thu, 07 Nov 2024 03:13 PM (IST)
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    दुमका सीट से दांव पर सोरेन परिवार की प्रतिष्ठा

    जागरण संवाददाता, दुमका। झारखंड की राजनीति का केंद्रबिंदु मानी जानी वाली दुमका सीट हमेशा से चर्चा में रही है। अबकी चुनाव में भी इस सीट पर जोरदार झकझूमर होना तय है। फिलहाल दुमका सीट झामुमो के पास है और यहां से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के छोटे पुत्र बसंत सोरेन विधायक हैं।

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    दुमका सीट को झामुमो की परंपरागत सीटों में से एक माना जाता है। दुमका के रण में अबकी बार छोटे सरकार यानि झामुमो के बसंत सोरेन के सामने दुमका से भाजपा के पूर्व सांसद सुनील सोरेन ताल ठोंक रहे हैं।

    वर्ष 2024 में दुमका सीट पर दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होना है। यहां कुल 13 प्रत्याशी दंगल में हैं। वर्ष 2019 के उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी व पूर्व मंत्री डा. लुईस मरांडी को हराकर पहली बार विधायक बने और इसी कालखंड में मंत्री बनने का भी अनुभव हासिल कर लिया है। इस बार यहां चुनावी परिदृश्य थोड़ा अलग है।

    झामुमो में शामिल हुईं डॉ. लुईस मरांडी

    लंबे समय से भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ती रहने वाली डॉ. लुईस मरांडी इस बार टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा छोड़ चुकी हैं और झामुमो के टिकट पर दूसरे चुनाव क्षेत्र जामा से चुनाव लड़ रही हैं। इस बार लुईस दुमका के मैदान में नहीं हैं। उनकी जगह भाजपा के पूर्व सांसद सुनील सोरेन दुमका से लड़ रहे हैं।

    शिबू सोरेन और दुर्गा सोरेन को हरा चुके हैं बीजेपी उम्मीदवार

    • भाजपा के पूर्व सांसद सुनील सोरेन 2019 में दुमका में झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन को चुनाव हराकर सांसद बने थे। इसके अलावा जामा विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2005 में वह शिबू सोरेन के पुत्र स्व.दुर्गा सोरेन को भी हरा चुके हैं।
    • वहीं दुमका के विधायक बसंत सोरेन अपनी जीत के दोहराव को लेकर यहां पूरी ताकत झोंके हुए हैं। झामुमो समर्थकों का कहना है कि डा. लुईस के शामिल होने से झामुमो की स्थिति और भी मजबूत हुई है।

    झामुमो गिना रही उपलब्धियां, बीजेपी भ्रष्टाचार

    बसंत सोरेन अपनी सभाओं में हेमंत सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियां और दुमका विधानसभा क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के दम पर दूसरी बार जनता से आशीर्वाद मांग रहे हैं। इधर भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोरेन चुनावी सभाओं में हेमंत सरकार की विफलता और भ्रष्टाचार के मुद्दों के अलावा इस बात पर भी ज्यादा जोर दे रहे हैं कि उन्हें सोरेन परिवार को हराने के लिए ही दुमका से टिकट दिया गया है। वह शिबू सोरेन और उनके बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन को हरा चुके हैं और अब बसंत सोरेन की बारी है।

    झामुमो ने दुमका से सर्वाधिक बार हासिल की है जीत

    • वहीं, अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 1951 से लेकर 2019 तक हुए विधानसभा के चुनावों में झामुमो ने सर्वाधिक बार जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा सिर्फ एक बार वर्ष 2014 के चुनाव में जीत हासिल कर पाई है।
    • वर्ष 2014 में भाजपा की डा. लुईस मरांडी ने झामुमो के हेमंत सोरेन को पराजित कर विधायक बनी थीं। वहीं इस सीट पर एक बार जनसंघ के गोपाल मरांडी ने वर्ष 1967 में चुनाव जीतने में सफल हुए थे।

    दुमका विधानसभा सीट में कुल मतदाता

    दुमका विधानसभा में कुल 2,59,079 मतदाता हैं, जिसमें 1,26,903 पुरुष और 1,32,175 महिला मतदाता हैं। इस सीट पर आदिवासी, अल्पसंख्यक के अलावा पिछड़ा व सवर्ण मतदाता हैं। इस सीट पर जातीय समीकरण झामुमो के पक्ष में ज्यादा मजबूत रहा है। इस बार भाजपा के रणनीतिकार इसमें सेंध लगाने के लिए ताकत झोंक रहे है।

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