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    Jharkhand Crime: साइबर ठगों ने रांची के डाक्टर और सेवानिवृत्त मर्चेंट अधिकारी को जाल में फंसाया, निवेश में मुनाफा दिखा 8.35 करोड़ रुपये उड़ाए, गिरफ्तार

    By Dilip Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 07:50 PM (IST)

    रांची में साइबर ठगों ने एक डॉक्टर और सेवानिवृत्त मर्चेंट अधिकारी को निवेश में मुनाफे का लालच देकर 8.35 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगों ने पहले विश्वास में ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, रांची ।  साइबर अपराध थाने की पुलिस ने 8.35 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में एक आरोपित पवन गौर को गिरफ्तार किया है। पवन मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र, काहारी मुहल्ला, गुरुनानक वार्ड का निवासी है।

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    सिवनी पुलिस के सहयोग से उसे उसके घर से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसके पास से मोबाइल, सिमकार्ड और वाट्सएप चैट बरामद किए हैं। उसकी गिरफ्तारी साइबर अपराध थाने में दर्ज दो अलग-अलग प्राथमिकियों के तहत हुई।

    पीड़ितों में एक सदर अस्पताल, रांची के एनेस्थेटिक डाक्टर हैं, जिनसे 3.75 करोड़ रुपये की ठगी हुई। दूसरा एक सेवानिवृत्त मर्चेंट नेवी अधिकारी हैं, जिनसे 4.60 करोड़ रुपये ठगे गए।

    सदर अस्पताल के डाक्टर ने 10 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनके अनुसार उन्हें फयेर्स सिक्यूरिटीज प्राइवेट लिमिटेड नामक वाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां आकर्षक निवेश और ट्रेडिंग आफर दिए गए।

    उन्हें फर्जी फयेर्स एप डाउनलोड करने को कहा गया, जिसमें नकली मुनाफा दिखाकर विश्वास जीता गया। इसके झांसे में आकर उन्होंने विभिन्न बैंक खातों में 3.75 करोड़ रुपये जमा किए। बाद में ठगी का पता चलने पर उन्होंने शिकायत दर्ज की।

    सेवानिवृत्त मर्चेंट नेवी अधिकारी को फेसबुक पर विज्ञापन दिखाकर फंसाया

    इसी दिन एक सेवानिवृत्त मर्चेंट नेवी अधिकारी ने भी प्राथमिकी दर्ज की। उन्हें फेसबुक पर नोमुरा और जीटीपीएफ नाम से निवेश के विज्ञापन दिखाए गए। वाट्सएप ग्रुप में जोड़कर और फर्जी नोमुरा एप डाउनलोड करवाकर झूठा मुनाफा दिखाया गया।

    इस तरह उनसे 4.60 करोड़ रुपये ठगे गए, जो वापस नहीं मिले। ठगी में प्रयुक्त सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के खाता नंबर 5824260671 के खिलाफ नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 51 मामले दर्ज हैं।

    पुलिस ने सलाह दी है कि वाट्सएप, टेलीग्राम या गूगल विज्ञापनों के लिंक पर क्लिक न करें और न ही अनजान वेबसाइट्स या एप्स पर रजिस्टर करें। निवेश के लिए केवल सरकार द्वारा अधिकृत एप्स का उपयोग करें और निवेश से पहले पूरी जानकारी लें।

    ठगी होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या वेबसाइट साइबर क्राइम के वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करें। साथ ही, नजदीकी थाने या साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत करें।