कांग्रेस के संगठन में होगा बड़ा फेरबदल, बदले जाएंगे अधिकतर जिलाध्यक्ष; जातीय समीकरण का रखा जाएगा ख्याल
झारखंड कांग्रेस में संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सभी जिलों के जिला अध्यक्ष जल्द बदले जाएंगे और नए चेहरों को मौका मिलेगा। पर्यवेक्षकों ने हर जिले से छह नामों की सिफारिश की है जिनमें से आलाकमान एक नाम पर मुहर लगाएगा। पार्टी पंचायत स्तर पर भी कार्यकर्ताओं को जोड़ने में लगी है ताकि भविष्य के लिए नेतृत्व तैयार किया जा सके।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड कांग्रेस के अभियान संगठन सृजन कार्यक्रम का असर धरातल पर दिखने लगा है। शीघ्र ही सभी जिलों के जिला अध्यक्ष बदल दिए जाएंगे।
पर्यवेक्षकों की ओर से हर जिले के लिए छह-छह नामों की अनुशंसा की जाएगी, जिसके बीच से ही किसी को अध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा। अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है। अभी तक के हालात बता रहे हैं कि प्रदेश स्तर के नेताओं को इस प्रक्रिया से दूर रखने में पार्टी एक हद तक सफल रही है।
कुछ जिलों में पार्टी के लोगों ने पुराने ढर्रे पर ही काम किया है। ऐसे में इन जिलाें में परिवारवाद और जातिवाद का असर भी दिख सकता है।
कांग्रेस में बदलाव को लेकर शुरू संगठन सृजन कार्यक्रम का परिणाम कुछ ही दिनों में सभी के सामने होगा। पाटी में इसके तहत हो रही तैयारियों के मद्देनजर बदलाव को लेकर रिपोर्ट मिलनी शुरू हो चुकी है।
झारखंड के 24 जिलों और एक महानगर कांग्रेस को मिलाकर कुल 25 जिलों में बदलाव की पूरी तैयारी है। अधिसंख्य जिलों में नए लोगों को नेतृत्व सौंपना है। इस क्रम में सामाजिक समीकरण का भी ख्याल रखना है। एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाने की बात पहले ही तय हो चुकी है।
इनके हिस्से में 50 प्रतिशत से अधिक सीटें आनी तय है। पार्टी सूत्रों के अनुसार झारखंड के तमाम जिलों में चार-पांच जिलों में ही अध्यक्ष का पद अगड़ों के हिस्से आने जा रहा है।
पलामू में मुकाबला रोचक, रांची में चुप्पी
कांग्रेस जिला अध्यक्षों को बदलने के लिए जारी कवायद के तहत पलामू में सबसे रोचक मुकाबला है। पलामू में प्रदेश के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के पुत्र प्रशांत को लेकर बहुत तेजी से चर्चा चल रही है। सूत्रों के अनुसार राज्य मुख्यालय से पहुंचे पर्यवेक्षकों ने उनके नाम पर सहमति प्रदान कर दी है।
पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी के करीबी विवेकानंद त्रिपाठी का नाम भी मुकाबले में आने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर, रांची को लेकर बड़ी चुप्पी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की पसंद डॉ. कुमार राजा हैं तो कई नेता ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. राकेश किरण महतो को एक और मौका दिलाना चाहते हैं। इन्हें विधायकों का सहयोग भी प्राप्त है।
धनबाद, बोकारो आदि जिलों में पार्टी के सीनियर नेताओं के हस्तक्षेप का असर दिख भी सकता है। धनबाद में जलेश्वर महतो की पसंद को आगे बढ़ाने की चर्चा चल रही है।
पंचायत स्तर पर कार्यक्रमों के माध्यम से पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में कांग्रेसी
वहीं, दूसरी ओर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी अब पंचायत स्तर पर पार्टी को मजबूती प्रदान करने में जुट गई है। इसका नेतृत्व स्वयं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू कर रहे हैं और इस बार सात दिनों तक लगातार कहीं ना कहीं किसी ना किसी जिले में वे पंचायत स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।
15 सितंबर से 21 सितंबर तक अलग-अलग जिलों में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश के साथ पंचायत स्तरीय कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे।
पंचायतों में गोष्ठी के दौरान कार्यकर्ताओं के साथ संवाद होगा और इन्हें आगे के लिए तैयार किया जाएगा। पार्टी ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से भविष्य का नेतृत्व तैयार करने में जुटी है।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से उन चेहरों को तलाशा जाएगा जिन्हें आनेवाले दिनों में प्रखंड अथवा जिलों में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कांग्रेस देवघर जिले के सरैयाहाट प्रखंड ग्राम पंचायत, साहिबगंज के बरहरवा प्रखंड ग्राम पंचायत, पाकुड़ सदर प्रखंड ग्राम पंचायत, जामताड़ा के नारायणपुर प्रखंड ग्राम पंचायत के अलावा हजारीबाग, गढ़वा और पलामू में विभिन्न स्तरों पर युवा नेताओं के साथ बैठक करने जा रही है।
इसकी तैयारियां पूरी की जा चुकी है। इन कार्यक्रमों से जिलास्तर पर युवा नेतृत्व की पहचान की जाएगी। तमाम कार्यक्रम संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत आयोजित हो रहे हैं। 21 सितंबर को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी वापस लौट जाएंगे।
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