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    Jharkhand PESA Act: 'पेसा' पर क्या है CM हेमंत का स्टैंड, अब दिया क्लियर जवाब; गवर्नर ने भी रखा पक्ष

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 08:10 PM (IST)

    झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा है कि राज्य सरकार पेसा कानून को जनता की भावना के अनुरूप लागू करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का उ ...और पढ़ें

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    झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और राज्यपाल संतोष गंगवार। फाइल फोटो- PTI

    राज्य ब्यूरो, रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार पेसा कानून (Jharkhand PESA Act) पर जनता की भावना की अनुरूप काम करेगी। वे मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से मुखातिब थे।

    उन्होंने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि यह सरकार राज्य की जनता की भावना के अनुरूप अपना काम करती है। ऐसे कानून पर पहले से ही कई चर्चाएं हो रही है। पेसा कानून पर भी बहुत जल्द लोगों को अवगत कराया जाएगा।

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    मुख्यमंत्री ने कहा कि हम वर्ष 2024 के अंतिम पड़ाव पर हैं और साल 2025 का हम सबको इंतजार है। नया वर्ष-2025 राज्यवासियों के लिए मंगलमय हो, यह हम सभी कामना करते हैं।

    सीएम ने कहा, सरकार की यह मंशा है कि राज्य के अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति तक विकास पहुंचे और हम उन्हें विकास का हिस्सा बनाएं। राज्य को बेहतर दिशा देने की ओर हम आगे बढ़े। सबके लिए नववर्ष ढेर सारी खुशियां लेकर आए।

    राज्यपाल को उम्मीद, नई सरकार शीघ्र लागू करेगी पेसा नियमावली

    राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उम्मीद जताई है कि नई सरकार शीघ्र ही पेसा नियमावली लागू करेगी। उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम के तहत पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को विशेष शक्तियां प्रदान की गई हैं। लेकिन झारखंड में अभी तक पेसा नियमावली लागू नहीं हो सकी है। उन्होंने इस दिशा में राज्य सरकार को स्मरण कराया है। आशा है कि नई सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी।

    राज्यपाल मंगलवार को पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया में आयोजित 'परंपरागत स्वशासन व्यवस्था' कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से वर्चुअल माध्यम से संवाद कर रहे थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि झारखंड की जनजातीय संस्कृति में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था का एक विशिष्ट महत्व है।

    मानकी-मुंडा, पाहन, प्रधान, मांझी जैसी व्यवस्थाएं न केवल जनजातीय संस्कृति का संरक्षण करती हैं, बल्कि ग्रामीण समाज की सामान्य समस्याओं का समाधान भी प्रदान करती हैं। ग्रामीण जनजातीय समुदाय का इस परंपरागत व्यवस्था पर सदियों से अटूट विश्वास रहा है। इसे और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

    राज्यपाल ने जनजातीय समाज को जागरूक करने, समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए नागरिकों से नियमित संवाद करने का आह्वान भी किया। कहा कि यदि हमारी जनजातीय स्वशासन व्यवस्थाएं प्रभावी ढंग से कार्य करें तो डायन प्रथा जैसी कुप्रथाओं से जनजातीय समाज को मुक्ति दिलाने में यह सहायक हो सकती हैं।

    उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रत्येक ग्रामवासी तक पहुंचना चाहिए। कहा कि वे पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए सदैव तत्पर हैं। राजभवन के द्वार सभी नागरिकों के लिए हमेशा खुले हैं। अपनी समस्याओं को लेकर कभी भी उनसे संपर्क कर सकते हैं।